
95 वर्ष की उम्र में जाने माने पत्रकार और लेखक कुलदीप नायर की नई दिल्ली में मृत्यु हो गई। बुधवार को उनकी मृत्यु हो गयी और बृहस्पतिवार को दिल्ली में ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. बिना किसी शोर शराबा और दिखावा के. कुद्लीप नैयर का जन्म 1 9 23 में सियालकोट में हुआ था।
कुलदीप नैयर पहले पत्रकार थे जिन्हें आपातकाल के बाद नज़रबंद किया गया था. वह अपनी राय रखने में बेबाक थे. तब भी जब इंदिरा की हुकूमत थी और अब भी जब मोदी की सरकार है. पत्रकारिता में उनकी सेवाओं के लिए 2015 में उन्हें ‘लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था।
पाकिस्तानी अखबार डौन न्यूज़ के अनुसार वे पाकिस्तान और भारत दोनों देशों के बीच शांति वार्ता चाहते थे, पाकिस्तानी अखबार ने उनके बारे में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उनहोंने अपनी जीवनी में पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक डॉ अब्दुल-क़दीर के साथ अपने साक्षात्कार का उल्लेख किया है जिसमें उनहोंने लिखा था कि “पाकिस्तान के पास परिक्षण से पहले परमाणु हथियार थे।”
पाकिस्तानी अखबार के अनुसार उन्होंने पत्रकार के तौर पर भारत में मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में कई लेख लिखे।
1 99 0 के दशक के मध्य में कुलदीप नैयर ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त भी थे और फिर वह राज्य सभा के सदस्य भी रहे।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कुद्लीप नैयर की मौत पर अफसोस व्यक्त किया। “कुलदीप नैयर हमारे समय के बौद्धिक दिग्गज थे. अपने विचारों में बेबाक और निडर, उनका काम कई दशकों तक का रहा। आपातकाल के खिलाफ, सार्वजनिक सेवा और बेहतर भारत के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर उनका मजबूत स्टैंड हमेशा याद किया जाएगा। उनकी मृत्यु पर मेरी संवेदना.” उनहोंने ट्वीट किया.
Kuldip Nayar was an intellectual giant of our times. Frank and fearless in his views, his work spanned across many decades. His strong stand against the Emergency, public service and commitment to a better India will always be remembered. Saddened by his demise. My condolences.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 23, 2018
राष्ट्रपति राम कोविंद ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. “दिग्गज संपादक, लेखक और सांसद और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के अडिग चैंपियन कुलदीप नैयर के निधन का सुन कर दुःख हुआ. उनके पाठक उन्हें याद करेंगे. उनके परिवार और सहयोगियों के लिए मेरी संवेदना.” उनहोंने ट्वीट के माध्यम से यह सन्देश दिया.
Sad to hear of the passing of Kuldip Nayar, veteran editor and writer, diplomat and parliamentarian, and a determined champion of democracy during the Emergency. His readers will miss him. Condolences to his family and associates #PresidentKovind
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 23, 2018
कुलदीप नैयर के निधन पर कई और नेताओं और पत्रकारों ने अपना दुःख प्रकट किया है.
कुलदीप ने कई किताबें भी लिखी जिनमें ‘बिटवीन द लाइंस’, ‘इंडिया आफ्टर नेहरू’, ‘इंडिया पाकिस्तान रिलेशनशिप’, ‘इमरजेंसी रीटोल्ड’ उल्लेखनीय है. उनहोंने अपनी पत्रकारिता उर्दू से की थी.
जिस तरह से उनहोंने इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी की निंदा की ठीक उसी तरह वह मोदी सरकार की निंदा अपने आलेखों में इन दिनों करते रहे. उनहोंने अपने लेखों में कई बार यह ज़िक्र किया कि मोदी का यह कार्यकाल इंदिरा की इमरजेंसी ही जैसा हैं जब मीडिया को बिलकुल चुप करा दिया गया है.
यह कहा जा सकता ही कि कुलदीप नैयर के बाद कुलदीप नैयर जैसे बेबाक और निडर पत्रकार की क्षतिपूर्ति कठिन है.