100 से अधिक आर.टी.आई कार्यकर्ताओं की सुनवाई, कारवाई और सुरक्षा की मांग




पूर्व न्यायाधीश राजेन्द्र प्रसाद आर टी आई कार्यकर्ताओं की समस्याएँ सुनते हुए

 

जन संवाद में उठी प्रमुख मांगें: सूचना के अधिकार पर कोइ बदलाव मंजूर नहीं,  शिकायत निवारण कानून को सशक्त किया जाए और हत्या होने पर किया जाए “स्पेशल ऑडिट”

4 अगस्त, पटना (बिहार). सूचना का अधिकार और लोक शिकायत निवारण कानून पर पटना के ए.एन.सिन्हा सामाजिक शोध संस्थान में जन संवाद का आयोजन हुआ. प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और सूचना का अधिकार कानून बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले निखिल डे और सेवानिवृत न्यायाधीश जस्टिस राजेन्द्र प्रसाद शामिल हुए. इस संवाद में राज्य भर से आये 100 से ज्यदा आरटीआई कार्यकर्ता और लोक शिकायत कानून को इस्तेमाल करने वाले लोगों ने भाग लिया. इस बैठक में पूर्वी चंपारण में मारे गए राजेन्द्र सिंह और जमुई में मारे गए वाल्मीकि यादव के परिवार के सदस्य शामिल हुए.

ज्ञात हो कि बिहार में पिछले 2 महीने के अन्दर सूचना का अधिकार इस्तेमाल करने वाले तीन आरटीआई कार्यकर्ता की निर्मम हत्या कर दी गयी है . 19 जून को पूर्वी चंपारण के आरटीआई कार्यकर्ता राजेन्द्र प्रसाद सिंह हत्या हुई और 1 जुलाई को जमुई में वाल्मीकि यादव और धर्मेन्द्र यादव की हत्या कर दी गयी थी तीनों लोग अपने इलाके में चल रहे विकास योजनाओं की निगरानी कर रहे थे और अपने प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे थे. इसलिए उन्हें धमकियाँ मिली और फिर उनकी हत्या कर दी गयी | हत्या करने वालों में स्थानीय दबंग पंचायत प्रतिनिधियों और बिचौलियों का नाम आ रहा है.

चर्चित कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज ने कहा कि “जितनी भी भ्रष्टाचार से लड़ने के कानून हैं उसपर प्रहार चल रहा है. हाल ही में भ्रष्टाचार निवारण
कानून में बदलाव किया गया, लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई है और सूचना के अधिकार कानून में बदलाव कर कानून को कमजोर करने की कोशिश हो रही है”.

सूचना का अधिकार और लोक शिकायत निवारण कानून पर जन संवाद में जमा लोग

निखिल डे ने कहा कि आधार लगाकर सरकार के पास लोगों के बारे में तमाम सूचना का अधिकार आ गया है पर हम जब सूचना मांगते हैं तो तमाम तरह की परेशानी होती है | बिहार सरकार तो गंभीरता से सूचना के अधिकार को लागू करना चाहिए| अब डेटा संरक्षण कानून के बहाने तमाम जरूरी जानकारी को छुपाया जाने की कोशिश हो रही है.

जन संवाद में आशीष रंजन ने कहा कि मामला गंभीर है क्यूंकि केंद्र और राज्य में सरकारें भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर और सुशाशन के नाम पर बनी, पर आज वही सरकारें इन बहादुर लोगों की उपेक्षा कर रही हैं, उनकी हत्या हो रही है. जो आम नागरिक भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे हैं उन्हें सुरक्षा मिलने के बजाय निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे नागरिकों की सुरक्षा के लिए बने Whistle-blower Protection कानून को लागू नहीं किया जा रहा है.

हालांकि इसी सब के बीच बिहार सरकार ने लोगों की शिकायतों को दूर करने के लिए शिकायत निवारण कानून, 2015 बनाया है. 20 से अधिक जिला से शिकायतकर्ताओं की जनसुनवाई जस्टिस राजेन्द्र  प्रसाद के सामने हुई.

सभी कार्यकर्ताओं के बीच जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर जन घोषणा पत्र तैयार किया गया जिसमे यह कहा गया है कि किसी सूचना के अधिकार कार्यकर्ता की हत्या होने पर वहाँ एक विशेष उच्चस्तरीय ऑडिट कराया जाए.

इस कार्यक्रम का आयोजन सूचना के जन अधिकार का राष्ट्रीय अभियान, जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय, डिजिटल एमपावरमेंट फ़ौंडेशन और वीडियो वौलेंटीयर्स ने मिलकर किया.  इसमें कामायनी स्वामी , सोहिनी, अमृता जोहरी, महेंद्र यादव, उज्जवल कुमार, महेंद्र यादव, मणिलाल एवं कई अन्य कार्यकर्ता शामिल हुए.

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