
मुख्यमंत्री आदित्य नाथ की कर्मभूमि रही गोरखपुर में जहाँ वहां के एक बड़े सरकारी अस्पताल में दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार 26 बच्चों समेत 63 लोगों की मौत हो गयी। कुशी नगर के रहने वाले लोरिक यादव के घर का चिराग़ अस्पताल प्रशासन और राज्य शासन की लापरवाही के कारण बुझ गया। अब उस जैसे 63 घरों में वर्षों तक दीवाली के दीयों में घी नहीं डाले जाएंगे न ही होली में अबीर लगाए जाएंगे।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में 2 दिन में 26 बच्चों समेत 63 मरीजों की मौत हो गई। इसकी वजह पेमेंट रुकने की वजह से ऑक्सीजन देने वाली कंपनी का सप्लाई बंद करना बताया जा रहा है। दरअसल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज छह महीने में 83 लाख रु. की ऑक्सीजन उधार ले चुका है। गुजरात की सप्लायर कंपनी पुष्पा सेल्स का दावा है कि करीब 100 बार चिट्ठी भेजने के बाद भी पेमेंट नहीं हुई। पेमेंट लेने जाते तो प्रिंसिपल मिलते ही नहीं। ऐसे में 1 अगस्त को चेतावनी दी और 4 से सप्लाई रोक दी। बुधवार से ऑक्सीजन टैंक में प्रेशर घटने लगा। इसके चलते गुरुवार और शुक्रवार को गंभीर हालत के 63 मरीजों की मौत हो गई।
NDTV खबर ने जिलाधिकारी रौतेला ने वक्तव्य का हवाला देते हुए लिखा है कि ‘नियो नेटल वार्ड’ में 17 बच्चों की मौत हुई जबकि ‘एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिन्ड्रोम यानी एईएस’ वार्ड में पांच तथा जनरल वार्ड में आठ बच्चों की मृत्यु हुई. उन्होंने बताया कि गुरुवार मध्यरात्रि से अब तक नियो नेटल वार्ड में तीन, एईएस वार्ड में दो और जनरल वार्ड में दो बच्चों की मौत हुई. शेष 23 मौतें नौ अगस्त की मध्यरात्रि से दस अगस्त मध्यरात्रि के बीच हुईं. इस सवाल पर कि क्या ये मौतें आक्सीजन की कमी की वजह से हुईं, रौतेला ने कहा कि उन्हें मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से बताया है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई.”
पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा- ”हमारी पार्टी के नेता जाकर वहां मेडिकल कॉलेज में बातचीत करके हमें बताएंगे। जब शरुआत हुई तो सरकार ने स्वीकार ही नहीं किया। सच्चाई ये है कि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने चिट्ठी भी लिखी थी कि अगर पेमेंट न मिला तो हमें सप्लाई रोकनी होगी। साफ है कि ऑक्सीजन की कमी से ही मौत हुईं।”
ध्यान रहे कि ऑक्सीजन कंपनी के बकाये की राशि को लेकर गोरखपुर के कई स्थानीय समाचारपत्रों ने कई बार रिपोर्टें प्रकाशित की थीं उसके बावजूद कोई व्यवस्था नहीं की गयी। मोदी फार्मा कंपनी के मालिक से NDTV के साक्षात्कार से साबित हो जाता है कि मौत के पीछे की वजह ऑक्सीजन की कमी ही रही।
अस्पताल के दौरे पर पहुंचे कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा- “इस घटना से देश आहत हुआ है। सरकार की लापरवाही की वजह से बच्चों के परिवारों को दुख पहुंचा है। यूपी के मुख्य मंत्री आदित्यनाथ, स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ और स्वास्थ्य सचिव को फौरन इस्तीफा देना चाहिए। ये उनकी जिम्मेदारी है, वो पीछे नहीं हट सकते हैं। इसमें डॉक्टरों की कोई गलती नहीं है। हमने पहले भी हॉस्पिटल में मदद की है।”
बीएसपी नेता सुधीन्द्र भदौरिया ने कहा- ”यह बड़ी शर्म की बात है। उम्मीद है कि उनके (योगी आदित्यनाथ) अंदर थोड़ी बहुत शर्म बची होगी। वह हॉस्पिटल जाएं और बच्चों के मां-बाप से माफी मांगें। नैतिकता के आधार पर सीएम को इस्तीफा दे देना चाहिए।”
अखिलेश ने ट्वीट कर कहा कि ”गोरखपुर मे आॅक्सीजन की कमी से बच्चों की दर्दनाक मौत, सरकार जिम्मेदार। कठोर कार्रवाई हो। 20-20 लाख का मुआवजा दे सरकार।”
लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर कहा कि “गोरखपुर अस्पताल में मासूम जानों के जाने का समाचार पाकर दुखी हूँ। योगी सरकार की यह पूरी तरह से नाकामी और लापरवाही है। गुनाहगारों को हरगिज़ बख्शा नहीं जाना चाहिए।“
सबसे हैरानी वाली बात यह कि जहाँ देश का हर इंसान इस घटना से बहुत ज्यादा आहत और क्रोधित है वहीँ हमेशा छोटी छोटी बात को लेकर ट्वीट करने वाले प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को इसका एहसास तक नहीं है। नरेन्द्र मोदी के हाल के ट्वीट या वेंकैया नायडू को लेकर हैं या फिर अपने स्वतंत्रता दिवस पर भाषण की तैयारी को लेकर। अपने ट्वीट में वह लोगों से उनके भाषण को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए सामग्री और सुझाव भेजने की अपील कर रहे हैं।