‘अच्छे दिन’ से मोदी का वही हश्र होगा जो ‘इंडिया शाइनिंग’ से वाजपेयी का हुआ : सोनिया




सोनिया गांधी इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पत्रकारों के साथ

मुंबई (महाराष्ट्र), 09 मार्च, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क) | संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की चेयरपर्सन और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को कहा कि ‘अच्छे दिन’ भारतीय जनता जनता पार्टी के खिलाफ उसी तरह से काम करेगा जैसा ‘शाइनिंग इंडिया’ अभियान ने वर्ष 2004 के आम चुनावों में वाजपेयी सरकार के साथ किया था।



उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस और संप्रग में उसके गठबंधन के साथी वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में सत्ता में वापसी करेगी।

उन्होंने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में यहां कहा, “भाजपा के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि उन्होंने काफी बड़े शानदार वादे कर दिए। लेकिन क्या लागू हो रहा है? उन्होंने काफी सकारात्मक तस्वीरें दिखाई। उन्होंने नौकरी देने और 15 लाख रुपये देने का वादा किया। काफी निराशा है। मुझे विश्वास है कि भाजपा का अच्छे दिन वास्तव में ‘इंडिया शाइनिंग’ के रूप में बदल जाएंगे जिससे हम वर्ष 2004 में सत्ता में आए थे।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए वादे से लोगों के बीच काफी निराशा है।

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने वर्ष 2004 में ‘इंडिया शाइनिंग’ अभियान और चुनाव में अच्छा करने की उम्मीद के बावजूद सत्ता गंवा दी थी।

सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी केंद्र में दोबारा मोदी सरकार को नहीं आने देंगे।

उन्होंने कहा, “हम वापस आने वाले हैं। हम उन्हें दोबारा वापस आने नहीं देंगे।”

देश के 22 राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगी दल के सत्ता में होने और 2014 आम चुनावों में कांग्रेस की हार पर, उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार दो कार्यकाल में दस वर्षो तक सत्ता में रही और निश्चिय ही हमारे खिलाफ कुछ सत्ता विरोधी लहर थी।

उन्होंने कहा, “लोगों ने शायद महसूस किया कि उन्हें नया व्यक्ति चाहिए। मैं भी सोचती हूं कि हम स्पर्धा से बाहर हो गए क्योंकि जिस तरह से मोदी और उनकी पार्टी ने चुनाव लड़ा, हम उनके साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सके।”

उन्होंने कहा, “वे लोग उस क्षेत्रों की पहचान करेंगे जहां भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है। हमें करना होगा..यह एक चुनौती है। लेकिन मैं निश्िंचत हूं कि हम ऐसा कर पाएंगे।”

सोनिया ने कहा, “2014 हार के बाद, पार्टी को संगठनात्मक स्तर पर संपर्क करने की नई पद्धति विकसित करनी होगी।

उन्होंने कहा, “हमें यह भी देखना होगा कि कैसे हम अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को प्रोजेक्ट करते हैं।”

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने संप्रग सरकार की पुरानी नीतियों को अपनाया है और कुछ मामलों में उसे ‘कमजोर’ कर दिया है।

उनहोंने कहा कि मोदी सरकार विपक्ष के साथ सामंजस्य की भावना नहीं रखती है। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान संसद ने ज्यादा सकारात्मक तरीक से काम किया था। सोनिया ने कहा, “मौजूदा स्थिति ऐसी है कि कोई भी सामंजस्य की भावना नहीं है..यह हमारा अधिकार है, यह विपक्ष का अधिकार है। जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तो हमने काफी अच्छे तरीके से काम किया था।”

उनहोंने इससे पहले अपने भाषण में आरोप लगाया था कि सरकार ने उनकी पार्टी को दरकिनार कर दिया और करोड़ों रुपये के पीएनबी घोटाले में बोलने का अवसर नहीं दिया गया।



उन्होंने कहा, “जब आपके पास चर्चा करने के लिए जरूरी मामले होते हैं, आपको सभी प्रक्रियाओं का पालन करना होता है, लेकिन हमें दरकिनार किया गया। हमें चर्चा करने की इजाजत नहीं दी गई।”

उन्होंने कहा, “बीते दो-तीन दिनों में हम पीएनबी घोटाले के बारे में चर्चा करना चाहते थे। यह ऐसा मुद्दा था जिससे लोगों उद्वेलित हैं। हमें बोलने नहीं दिया गया।”

एक और सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान उनकी पार्टी सदस्यों ने नारे लगाए थे क्योंकि उनके पार्टी नेताओं को इससे एक दिन पहले बोलने नहीं दिया गया था।

यह पूछे जाने पर कि मौजूदा गतिरोध कैसे समाप्त होगा, उन्होंने कहा, “जिस तरह संसद चलाई जा रही है, उसमें इसका होना मुश्किल है। यह असंभव है क्योंकि वे लोग हमें बोलने नहीं दे रहे है। संसद क्यों होती है? मैं इस बात से अवगत हूं कि लोग कुल मिलाकर कांग्रेस से नाराज हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि हम चिल्ला रहे हैं। लेकिन इसके पीछे काफी गंभीर उद्देश्य है। संसदीय नियमों का पालन नहीं हो रहा है।”

सोनिया ने कहा कि वाजपेयी संसदीय प्रक्रिया की बहुत इज्जत करते थे और तब के अध्यक्ष वैसे थे, जैसा उन्हें होना चाहिए।

मोदी को एक व्यक्ति के रूप में वह कैसा मानती हैं, इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह उन्हें नहीं जानती हैं।



उन्होंने कहा, “मैं उन्हें नहीं जानती हूं। मैं बतौर व्यक्ति उन्हें नहीं जानती हूं। हम उन्हें संसद में या कभी-कभार समारोह में देखते हैं, लेकिन मैं यह नहीं कह सकती कि मैं उन्हें जानती हूं।”

सोनिया ने कहा, “वाजपेयी सरकार में भी हम विपक्ष में थे। हम कड़े प्रतिद्वंद्वी थे लेकिन हमने अच्छी तरह से काम किया। निश्चित ही हमारे बीच असहमति थी लेकिन यह सब सकारात्मक तरीके से था।”

कथित गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कार्प घोटाले में कैग की रिपोर्ट के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को इस मुद्दे पर संसद में बोलने नहीं दिया गया।

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