
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (National Statistical Commission) के कार्यवाहक प्रमुख पीसी मोहनन और सदस्य जे वी मीनाक्षी ने इस्तीफा दे दिया है. इनके इस्तीफे के बाद अब आयोग में कोई गैर सरकारी सदस्य नहीं बचे
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (National Statistical Commission) के कार्यवाहक प्रमुख और गैर सरकारी सदस्य पीसी मोहनन और सदस्य जे वी मीनाक्षी ने इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे के बाद इस आयोग में मुख्य सांख्य विद (chief statistician) प्रवीन श्रीवास्तव और नीति आयोग के अमिताभ कंठ रह गए. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार उन्हें अलग थलग रख रही थी और उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा था.
उनहोंने अपने इस्तीफे के दो कारण बताए हैं. उनहोंने कहा है कि सरकार रोज़गार और जीडीपी के आंकड़ो को पेश करने में हेराफेरी का रही थी.
उनहोंने कहा कि 2017-18 के नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के रोजगार सर्वेक्षण को सरकार प्रकाशित नहीं कर रही है तथा पिछले साल के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) सीरीज को जारी करने से पहले आयोग के साथ सरकार की कोई बात नहीं हुई.
उनका कहना है कि 5 दिसंबर 2018 को ही नेशनल सैंपल सर्वे का डेटा मंज़ूर कर सरकार को दे दिया गया था, मगर आज तक जारी नहीं हुआ. इस इस्तीफे के बाद चार सदस्यों वाले राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग में अब दो ही सदस्य रह गए हैं. जे वी मीनाक्षी दिल्ली स्कूल आफ इकोनमिक्स में प्रोफेसर हैं और पी सी मोहनन इंडियन statistical सर्विस के सदस्य रहे हैं.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीसी मोहनन का कहना है कि हमें कई महीनों से लग रहा था कि हमें कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है और किनारे लगाया जा रहा है. नेशनल स्टेटिस्टिकल कमिशन के फैसलों को लागू नहीं किया जा रहा था. गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में इस कमीशन ने जीडीपी आंकड़ों की समीक्षा कर बताया था कि यूपीए के समय 2010-11 में जीडीपी 10.08 परसेंट हो गई थी. मगर सरकार ने उनकी रिपोर्ट पलट दी. इस्तीफे का एक कारण यह भी बताया जा रहा है.