
तीन तलाक़ के खिलाफ लड़ाई को अदालत तक पहुंचने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम विमेंस पर्सनल ला बोर्ड ने तलाके बिद्दत के खिलाफ बनाये गए नियम के सियासी जाल में उलझ जाने पर अपनी परिशानियों को ज़ाहिर करते हुए कहा कि भाजपा या कांग्रेस नहीं बल्कि मुस्लिम क़ौम ही अपने मसायल को सुलझा सकती है.
उन्होंने कहा कि भाजपा ने मुस्लिम औरतों को चलने का काम किया है और साथ ही उनकी परिशानी को बढ़ा दी है.
बोर्ड के अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने बातचीत में कहा की तीन तलाक़ का मसला जिस तरह से सियासी मकड़ा जाल में उलझ कर रह गया. जिससे समाज में बेहद निराशा का सामना किया है. कोई भी पार्टी हमदर्द नहीं है.
उन्होंने इस तीन तलाक़ के सारे सियासी मामले को मुसलमानो में आपसी एकता ना होने की वजह बताई है.
तीन तलाक़ विधयेक में सरकार द्वारा किये गए संसोधन नाकाफी थे. एक तरफ उच्य न्यायालय ने तीन तलाक़ को असंवैधानिक करार दिया था. लिहाज़ा तीन तलाक़ कभी वज़ूद में आया ही नहीं. दूसरी तरफ सरकार ने विधयेक में तीन तलाक़ देने वाले को तीन साल की सजा प्रवधान कर दिया जो खुद में विरोधाभासी प्रवधान है.
इसके अलावा तीन तलाक़ को लेकर कई और गड़बड़िया रही. ऐसा इस लिए हुआ क्यूंकि सरकार ने तीन तलाक़ के खिलाफ विधयेक तैयार करने से पहले उस तक़वे के प्रतिनिधियों से बात करना ज़रूरी नहीं समझा जिस पर इसका असर पड़ने वाला था.
शाइस्ता अम्बर ने अपनी बात में दारुल इ कज़ा का ज़िकर करते हुए कहा कि एक पुरुष क़ाज़ी के अलावा एक महिला क़ाज़ी की भी नियुक्ति की जाए. ताकि दोनों पक्षों की बात सही तरीके से सुना और समझा जा सके.