2007 गोरखपुर दंगे के मामले में योगी आदित्यनाथ पर मुक़दमा चलाने से इलाहबाद उच्च न्यायालय का इनकार




लखनऊ (उत्तर प्रदेश), 22 फरवरी, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क) । योगी आदित्यनाथ को एक बड़ी राहत के रूप में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को 2007 दंगा मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री पर मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई जांच की याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इस दंगे में एक व्यक्ति की हत्या की गयी थी।



तत्कालीन गोरखपुर के मेयर अंजू चौधरी और विधायक राधा मोहन अग्रवाल के साथ आदित्यनाथ पर एक दशक से ज्यादा पुराने मामले में भीड़ को दंगा के लिए भड़काने का आरोप था।

न्यायमूर्ति कृष्णा मुरारी और न्यायमूर्ति ए.सी. शर्मा की पीठ ने परवेज परवाज की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई भी मामला फिर से नहीं खोला जाएगा।

पीठ ने 18 दिसंबर, 2017 को याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था, और गुरुवार को इसे सुना दिया गया।

याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा सकती।

2008 में मोहम्मद असद हयात और परवेज ने दंगों की जांच के लिए एक केंद्रीय जांच ब्यूरो की जांच के लिए याचिका दायर की थी जिसमें एक मारे गए थे।

एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने अदालत को बताया कि आदित्यनाथ के खिलाफ ऐसा कोई मामला नहीं बनता जिसमें उनपर मुकदमा चलाया जा सकता हो।

हालांकि, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि आदित्यनाथ ने 2007 में भीड़ को दंगा करने के लिए उकसाया था जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और 11 दिनों के लिए हिरासत में रखा गया था।

गोरखपुर के तत्कालीन लोकसभा सदस्य पर भारतीय दंड संहिता के कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

राज्य पुलिस की सीबी-सीआईडी ​​ने इस मामले की जांच की और 2013 में यह निष्कर्ष निकाला था कि आवाज़ के नमूने वाकई में योगी आदित्यनाथ के ही थे।

एजेंसी ने आरोप पत्र दायर किया था, लेकिन तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने तब आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने से इंकार कर दिया था।

सीडी-सीआईडी ​​ने 2017 में अपने हलफनामे में कहा था कि यह मामला चूँकि आईपीसी की धारा 153 और 295 का है इसलिए इसमें राज्य सरकार से आरोप तय करने के लिए अनुमति आवश्यक था।

मार्च 2017 में जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई तो उन्होंने भी अनुमति से इनकार कर दिया।

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