
-अमिताभ कुमार दास
सीता, सीता, सीता,
तेरे कारण, पूरा पटना,
नाला का जल पीता!
मेयर के चेयर पे देवी,
जब से तू है आई,
बेटा तेरा निगम चलाता,
झाल बजाती माई.
पूरा पटना हार गया,
बस तेरा बेटा जीता
सीता, सीता, सीता
संप हाउस सब बंद पड़े हैं,
नाले हो गए जाम.
नगर निगम, अब “नरक” निगम,
चर्चा हो गयी आम.
कागज़ पे ही काम हो रहे,
तू बस काटे फीता!
सीता, सीता, सीता
डिप्टी मेयर से लड़ लड़ के,
तूने खो दी साख.
वार्ड काउंसलर को भी “कोई”
मार रहा है आँख.
निगम बन गया कुरुक्षेत्र
सब सुनते भगवद गीता!
सीता, सीता, सीता.
पटना की जो हालत देखी
रोया ए. के. दास
तेरे चरणों में अर्पित की,
कविता अपनी ख़ास.
अगर हो गई कविता वायरल,
तो लग जाए पलीता!
सीता, सीता, सीता