
कांग्रेस को उखाड़ फेंकने वाले और आम आदमी पार्टी के रचियता अन्ना हज़ारे एक बार फिर अनशन पर हैं. यह बात अलग है कि 5 दिन हो गए और मीडिया ने दिलचस्पी नहीं दिखाई. लेकिन अन्ना के अनशन को अब महाराष्ट्र में भाजपा की ही साझेदार पार्टी शिव सेना का साथ भाजपा के खिलाफ मिल गया है. अन्ना इस बार भी भ्रष्टाचार के खिलाफ ही मोर्चे पर हैं लेकिन इस बार वह कांग्रेस की सरकार के विरुद्ध नहीं बल्कि केंद्र और महाराष्ट्र की भाजपा सरकार के खिलाफ अनशन पर हैं.
अन्ना के पांचवे दिन के अनशन पर, रविवार को शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार से अन्ना हजारे की भूख हड़ताल में हस्तक्षेप करने की अपील की और उससे कहा कि वह सामाजिक कार्यकर्ता की जिंदगी से ना खेलें। ठाकरे ने एक बयान में 81 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता के स्वास्थ्य पर चिंता जतायी है। केंद्र और महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार रोधी लोकपाल की तत्काल नियुक्ति की मांग को लेकर हजारे के अनिश्चिकालीन अनशन का रविवार को पांचवां दिन है।
उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय के उस कथित पत्र को निंदनीय और हास्यास्पद बताया जिसमें हजारे के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की गई है। हजारे के समर्थकों ने दावा किया था कि गांधीवादी कार्यकर्ता द्वारा भेजे पत्र पर उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं मिली।
शिवसेना अध्यक्ष ने कहा कि हजारे की लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है जिसका देश सामना कर रहा है। उन्होंने हजारे से अनशन कर अपनी जान दांव पर लगाने के बजाय लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए अपनी लड़ाई को सड़कों पर ले जाने के लिए कहा।
उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, मौजूदा समय में देश में लोगों को ‘एनेस्थीसिया’ दिया गया है और उन्हें इस स्थिति से बाहर निकालने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि हजारे को नई क्रांति लाने में जयप्रकाश नारायण की भूमिका निभानी चाहिए।
ठाकरे ने गंगा की सफाई को लेकर अनशन पर बैठे कार्यकर्ता जी डी अग्रवाल उर्फ़ ज्ञानस्वरूप सानन्द की मौत का उल्लेख करते हुए कहा कि अग्रवाल ने गंगा की सफाई को लेकर और नदी के निर्बाध रूप से बहते रहने की मांग को लेकर हरिद्वार में बड़ा आंदोलन किया था लेकिन मोदी सरकार ने उनकी न सुनी और उन्हें मर जाने दिया. ज्ञात रहे कि प्रोफेसर अग्रवाल की मौत भूख हड़ताल की वजह से हो गयी थी।
अन्ना को अपना अनशन खत्म करना चाहिए और अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की अगुवाई करनी चाहिए तथा मैं शिवसेना के समर्थन का आश्वासन देता हूं। गौरतलब है कि जी डी अग्रवाल (86) का प्रदूषण मुक्त गंगा के लिए अनशन शुरू करने के 111 दिन बाद गत वर्ष अक्टूबर में उत्तराखंड के ऋषिकेश में एम्स में निधन हो गया था। वह भूख हड़ताल पर थे और मौत से पहले उनहोंने जल तक त्याग दिया था.