असम NRC पर केंद्र और राज्य सरकारें आज सौंपेंगी रिपोर्ट




सुप्रीम कोर्ट NRC मामले में बुधवार यानी आज इसकी सुनवाई करने जा रहा है। जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता पीठ सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला द्वारा सीलबंद कवर दाखिल सुझाव और रिपोर्ट केंद्र सरकार को देने से इनकार कर दिया था।



पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार भले ही इस मामले में रुचि रखती हो, लेकिन कोर्ट को चीजों को बैलेंस करना है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने फाइनल NRC में नाम शामिल करने के दावे पेश करने की तारीख को फिलहाल टाल दिया था।

इसके अलावा कोर्ट ने सरकार के 15 अतिरिक्त दस्तावेज की सूची दी थी उसमें से 10 की दस्तावेजों को वेरीफिकेशन की इजाजत दी जा सकने की बात कही थी क्योंकि, इन दस्तावेज का फर्जीवाडा करने की गुंजाइश कम है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि NRC ड्राफ्ट में शामिल लोगों की पुर्नजांच के लिए दस फीसदी लोगों का सैम्पल सर्वे होना चाहिए। कोर्ट ने सर्वे शुरू करने और उसके खत्म होने की समयसीमा पर राज्य संयोजक से रिपोर्ट मांगी थी।

क्या है NRC?

दरअसल, सरकार द्वारा एनआरसी यानि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स नाम का एक अभियान चलाया गया। जिसके तहत सरकार असम में अवैध रूप से रह रहे लोगों को राज्य से बाहर किया जाना जो डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट के आधार पर काम करता है। यानि सबसे पहले अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान की जाती, उसके बाद उन्हें भारत से हटाते हुए उनके देश वापस भेज देने की बात कही।

चुनावी रणनीति के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात कही थी। इसी के चलते सरकार नागरिकता संशोधन बिल पास करवाना चाहती है। घुसपैठियों में मुस्लिमों के अलावा बंग्लादेशी हिंदूओं की भी अच्छी- खासी तादाद शामिल है।

1 जनवरी की आधी रात को एनआरसी का पहला ड्राफ्ट जारी किया गया था, जिसमें 3. 29 करोड़ लोगों में से 1.9 करोड़ लोगों को ही भारत का वैध नागरिक माना गया था और आज गैर-कानूनी तरीके से रह रहे 50 लाख बांग्लादेशी के लिए दूसरे एवं अंतिम मसौदा पेश किया गया है। बता दें कि वैध नागरिकता के लिए 3,29,91,384 लोगों ने आवेदन किया था।

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