
चुनाव से पहले सरकार किसानों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसी सिलसिले में अब सरकार उन किसानों को भी फसल बीमा और कर्ज माफी का फायदा पहुंचाना चाहती है, जिनके पास अपनी जमीन नहीं है. ऐसे बटाईदार किसानों को जल्द राहत देने के लिए मोदी सरकार मौजूदा फसल बीमा योजना और क्रेडिट स्कीम में बदलाव करने की तैयारी कर रही है.
सरकार उन किसानों को भी फसल बीमा और कर्ज माफी का फायदा पहुंचाना चाहती है जिनके पास अपनी जमीन नहीं है यानि कि बटाईदार और छोटे किसानों को राहत देना है. पट्टे पर खेती करने वाले किसानों को भी लोन/बीमा का लाभ देने के लिए फसल बीमा योजना और किसान कर्ज देने वाली स्कीम में बदलाव कर सकती है.
केंद्र सरकार फसलों की खरीद के लिए भावांतर के तर्ज पर किसानों के खाते में पैसा जमा करा सकती है. इसमें एमएसपी और बाजार भाव का अंतर किसान को सीधे खाते में मिलेगा. इसके अलावा एक विकल्प ये है कि तेलंगाना मॉडल के तहत फसलों की बुवाई से पहले प्रति एकड़ तय राशि किसान को मिले. देशभर में इस योजना पर सालाना करीब 1 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है. इसके अलावा एक विकल्प यह है कि 1 लाख तक के फसल लोन माफ कर दिए जाए। इस पर करीब 3.3 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है.