दिल्ली: मजदूर की गुहार, भूखमरी से मरने से बेहतर है कोरोना से मरना




कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लागू लॉकडाउन के चलते अब बड़े पैमाने पर भूखमरी की ख़बरें आ रही हैं. देश के कई हिस्सों में लोगों को इससे परेशानी होना शुरू हो गयी है. इससे परेशान होने वाले लोगों में न केवल रोज़ के मजदूर, रिक्शा चालक, अप्रवासी कारीगर हैं बल्कि कम वेतन पाने वाले कर्मचारी भी हैं. आवश्यक चीज़ों की दूकान को छोड़ कर अन्य छोटे दुकानदार भी अब परेशान हो चले हैं. ज्ञात रहे कि इस लॉक डाउन को 14 अप्रैल तक लागू किय गया है.

हालांकि केंद्र और प्रदेश की सरकारें बहुत सारी घोषणाएं जारी की हैं लेकिन उनका ज़मीन पर असर नहीं दिख रहा है. लोग बदहाल हैं. सामानों के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं.

दिल्ली के फतेहपुर बेरी की रहने वाली राजवती भी उनमें से एक है. वह मजदूरी कर अपने परिवार का खर्चा चलाती है. राजवती का कहना है कि हम बिना खाना और पानी के जीने के लिए मजबूर हैं. उसने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए राजवती ने कहा, ‘मकान मालिक किराए के लिए परेशान कर रहा है. बिजली बिल भी देना पड़ता है. हमारे पास खाने का एक दाना तक नहीं है, हम कहां से खाएं. पानी आ रहा था, जिसे पीकर हम जिंदा हैं. अब वो भी बंद हो गया.’ राजवती ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि हमें या तो हमारे गांव भिजवा दें या फिर साधन दें. उसने कहा कि हम भूखे मरें, इससे अच्छा है कि इस बीमारी (कोरोना) से मर जाएं।

दिल्ली में बिहार की रहने वाली समीमा का कहना है कि हमरे बच्चे बीते दो दिनों से पानी पीकर रह रहे हैं। मकान मालिक किराया मांग़ रहा है। मैं सरकार से ममद की गुजारिश करती हूं।

कोरोना को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को ऐलान किया कि दिल्ली सरकार दिहाड़ी मजदूरों को पांच हजार रुपए देगी. लेकिन वह इसे कैसे देगी अब तक यह तय नहीं हुआ है. न ही अभी किसी को यह राशि मिली है. अभी सरकार मात्र अपने वेलफेयर योजनाओं की चर्चा ट्विटर पर ही कर रही है.

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