
चंद्रशेखर रावण’ के जेल से रिहा होने के बाद ‘भीम आर्मी’ को एक मज़बूत विकल्प के तौर पर देखने को मिला लेकिन दलितों की मुखर आवाज मानी जा रही भीम आर्मी भी अब आपसी झगड़ों में उलझ कर दो धड़ों में बंट गई है।
दरअसल लोकेश कटारिया की अगुआई में ‘भीम आर्मी-2’ का गठन कर लिया है। ‘भीम आर्मी-2’ का गठन कर संस्था के संस्थापक बने शिवजी गौतम ने शनिवार को कहा कि चंद्रशेखर अब दलितों की मुखर आवाज नहीं रहे। वह प्रदेश की भाजपा सरकार से गुपचुप समझौता कर लिए हैं, इसीलिए भारत बंद के दौरान हुई सहारनपुर और मुजफ्फरनगर की हिंसा में जेल में बंद निर्दोष दलित नेताओं और कार्यकर्ताओं की रिहाई के प्रयास नहीं कर रहे।
हालांकि अभी इस मामले में बसपा के भीम आर्मी के साथ जाने की खबर मीडिया में लगातार आती रही है लेकिन इसकी पुष्टि पार्टी द्वारा नहीं किया गया है। इसलिए इस मामले में दोनों पक्षों का आरोप-प्रत्यारोप जारी है।
वही चंद्रशेखर के दाहिने हाथ माने जा रहे योगेश गौतम ने कहा कि चंद्रशेखर की भीम आर्मी मनुवादी सोच वालों से कभी समझौता नहीं करेगी, वह अपना संघर्ष पूर्ववत जारी रखेगी, साथ ही कहा है कि दोनों कथित दलित नेताओं ने खुद सत्तारूढ़ दल के बहकावे में आकर समानांतर संगठन का गठन किया है, ताकि आंदोलन को कमजोर किया जा सके।