
भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा को एक साल पूरा हो चुका है. महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में पिछले साल भड़की जातीय हिंसा की बरसी से ठीक पहले भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को भीमा-कोरेगांव स्मारक स्थल पर पहुंचने से पहले ही रोक ले लिया गया.
इतना ही नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट से भी चंद्रशेखर आजाद को रैली करने की अनुमति नहीं मिल सकी. बता दें कि शनिवार को चंद्रशेखर को मुंबई के आजाद मैदान में एक रैली को संबोधित करने वाले थे. हालांकि, कार्यक्रम के लिए आयोजकों को प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने के वजह से रैली को रद्द कर दिया गया.
बताते चलें कि जनवरी 1818 को भीमा-कोरेगांव में अंग्रेजों की सेना ने पेशवा बाजीराव द्वितीय के 28000 सैनिकों को हराया था. ब्रिटिश सेना के अधिकतर जवान महार समुदाय के थे. कुछ इतिहासकारों के हिसाब से उनकी संख्या 500 से ज्यादा थी. इसलिए दलित समुदाय इस युद्ध को ब्रह्माणवादी सत्ता के खिलाफ जंग मानता है. तब से हर साल 1 जनवरी को दलित नेता ब्रिटिश सेना की इस जीत का जश्न मनाते हैं.