मुजफ्फरपुर काण्ड में बिहार के मुख्यमंत्री की जांच का आदेश, अदालत ने आरोपी की याचिका पर सीबीआई को सौंपा




बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फ़ोटो: पीटीआई)

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बालिका आवास गृह में लड़कियों के साथ यौन शोषण मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा तत्कालीन जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो सकती है। इस मामले में एक आरोपी की अर्जी को अदालत ने सीबआई को अग्रसारित किया है। हालांकि, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) इसे एक सामान्य प्रक्रिया बता रही है। मुजफ्फररपुर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश 11 और विशेष पॉस्को अदालत के प्रभारी न्यायाधीश मनोज कुमार ने इस मामले में आरोपी अश्विनी कुमार द्वारा दायर अर्जी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अग्रसारित कर दिया है।

न्यूज़ एजेंसी, आईएएनएस की खबर के अनुसार इस काण्ड में लड़की को नशे का इंजेक्शन देने का आरोपी अश्विनी कुमार के अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने अदालत में 14 फरवरी को अर्जी दायर कर आरोप लगाया है कि सीबीआई जांच में उन तथ्यों को छुपाने की कोशिश कर रही है, जो मुजफ्फरपुर के पूर्व जिलाधिकारी धर्मेन्द्र सिंह, वरिष्ठ अधिकारी अतुल कुमार सिंह सहित कई अधिकारी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका की जांच करने के बाद सामने आ सकते हैं।

खबर के अनुसार, आरोपी के अधिवक्ता ओझा ने शनिवार को भी एक पूरक अर्जी अदालत में दायर की है। इस पर फिलहाल सुनवाई लंबित है।

ओझा ने बताया, “अर्जी में आरोपी अश्विनी का बयान न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष भादवि की धारा 164 के तहत लेने की मांग की गई है। अर्जी में कहा गया है कि इस आवास गृह की प्रति सप्ताह जांच होती थी, फिर कैसे आवास गृह को बिना मिलीभगत के क्लिनचिट दे दिया जाता था।”

उल्लेखनीय है कि अश्विनी को पिछले साल नवंबर महीने में गिरफ्तार किया गया था। स्वयंभू चिकित्सक अश्विनी पर नाबालिग लड़कियों को ड्रग्स का इंजेक्शन देने का आरोप है।

सीबीआई के वकील शरद सिन्हा ने स्पष्ट किया कि अदालत द्वारा मुख्यमंत्री या किसी भी अधिकारी की जांच के लिए कोई आदेश नहीं दिया गया है।



उन्होंने कहा, “अदालत द्वारा मुख्यमंत्री या किसी अधिकारी के विरूद्ध जांच का कोई आदेश नहीं दिया गया है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें किसी आरोपी के किसी प्रकार की अर्जी को अदालत अग्रसारित कर देती है।”

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बता दें कि बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले में पिछले साल 31मई को एक बालिका गृह में बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था. कुछ बच्चियों के गर्भवती होने की भी पुष्टि हुई थी.

मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, इस बालिका गृह में रह रहीं 42 लड़कियों में से 34 के साथ बलात्कार होने की पुष्टि हो गई थी. बलात्कार की शिकार लड़कियों में से कुछ 7 से 13 साल के बीच की हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बलात्कार से पहले लड़कियों को नशीली दवाओं का इंजेक्शन देकर उन्हें बेहोश किया जाता था. इसके अलावा लड़कियों के इलाज के लिए बालिका गृह के ऊपर एक कमरा बना हुआ था.

मामला तब सामने आया जब साल 2018 के शुरू में मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (टिस) की ‘कोशिश’ टीम ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि बालिका गृह की कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है. उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है और आपत्तिजनक हालातों में रखा जाता है.

गौरतलब है कि पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को मुजफ्फरपुर अदालत से दिल्ली स्थानांतरित करने का आदेश दिया है।

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