
मुजफ्फरपुर बालिका गृह की तरह से राज्य के 17 अन्य बाल आश्रय गृहों में बच्चों के यौन शोषण के मामले में बिहार पुलिस की जांच पर गहरा असंतोष जताया है। सुप्रीम कोर्ट कहा कि यह जांच भी सीबीआई को दी जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि पुलिस अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर पा रही है। जस्टिस लोकुर ने कहा, आप या तो यह कह सकते हैं कि आपसे सही धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करने में गलती हुई है या फिर आप हमारे आदेश का इंतजार कर सकते हैं। यदि हम इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि धारा 377 का उल्लंघन हुआ है तो आपको रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ेगी। इस पर राज्य सरकार के वकील ने कहा कि धारा 377 के तहत आरोप लगाए जाएंगे।
हालांकि इसके बाद बिहार के सभी शेल्टर होम की जांच में बिहार सरकार की कोताही पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये को लेकर बिहार विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ।
आरजेडी नेता भोला यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला का हम स्वागत करते हैं। इससे साफ पता चलता है कि राज्य सरकार मामले को दबाने की कोशिश कर रही थी।
जबकि जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने नपे तुले शब्दों में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं और हमारी अपेक्षा है कि जल्द से जल्द पीड़ितो को न्याय मिले। सुप्रीम कोर्ट ने जो भी कहा कि इस मामले में यह धारा लगनी चाहिए हमने तुरंत उस मामले में कार्रवाई की। गवर्नेन्स में कोई पक्षपात की जगह नहीं है।
वहीँ कांग्रेस के प्रवक्ता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद साफ हो गया है कि राज्य सरकार दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही थी। अब नीतीश कुमार को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।