
पटना (बिहार), 2 मई, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क) | सत्तारूढ़ जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) के वरिष्ठ नेता और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने बुधवार को पार्टी छोड़ने की घोषणा करते हुए कहा कि वह राज्य सरकार की दलित विरोधी नीतियों के विरुद्ध जनता दल-युनाइटेड से नाता तोड़ रहे हैं।
दलित नेता ने मीडिया से कहा, “मैंने बिहार और पूरे देश में दलितों के खिलाफ बढ़ रहे अत्याचारों और अपराधों पर पार्टी नेतृत्व की चुप्पी के कारण जद-यू से इस्तीफा दिया है। पार्टी के नेतृत्व में सरकार भी दलित विरोधी नीतियों को बढ़ावा दे रही है।”
चौधरी ने मुख्यमंत्री और जद-यू के अध्यक्ष नीतीश कुमार के भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिलाने पर भी नाखुशी जाहिर की थी।
कभी नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले चौधरी ने कहा, “मुझे पार्टी में उपेक्षित और दरकिनार कर दिया गया और जब मैंने दलितों का मुद्दा उठाया तो उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।”
हाल के दिनों में, चौधरी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा से हाथ मिलाया है। मंगलवार को उन्होंने दलितों के समर्थन में यहां एक मार्च की अगुवाई भी की।
ज्ञात रहे कि पिछले वर्ष अक्टूबर में उदय नारायण चौधरी और श्याम रजक ने पार्टी लाइन से हट कर पटना में प्रेस कांफ्रेंस करके नीतीश कुमार को दलित विरोधी कहा था। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इन दोनों नेताओं को राजद से गठबंधन के बाद से ही कोई मंत्रालय नहीं मिला और इन्हें अलग थलग रखा जा रहा था। हालांकि यह दोनों ही नेता एक समय में नीतीश कुमार के बेहद क़रीबी माने जाते थे। श्याम रजक पहले राजद में थे लेकिन राजद के कमजोर हो जाने के बाद वह जद-यू में शामिल हो गए। राजद में भी श्याम रजक को लालू यादव का क़रीबी माना जाता था।
उदय नारायण चौधरी अभी कहीं से निर्वाचित नहीं हैं। 2015 तक इमाम गंज से विधायक चुने जा रहे थे लेकिन 2015 में जीतन राम मांझी से हार गए। उस समय जीतन राम मांझी भाजपा के सहयोगी थे और चौधरी की पार्टी जद-यू का गठबंधन राजद के साथ था।