
बिहार कैबिनेट ने करीब दो साल पहले पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू किया था। इस कानून के तहत न्यूनतम तीन साल तक जेल की सजा मुकर्रर की गई है। यहाँ तक की बिहार पुलिस को बिना वारंट सिर्फ शक के आधार पर लोगों को गिरफ्तार करने का पूरा अधिकार मिला। लेकिन नीतीश सरकार ने राज्य शराबबंदी कानून में बदलाव करने के बारे में विचारनीय है।
निश्चित रूप से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस प्रयास में पिछले कई महीनों से सक्रिय थे कि मामूली आरोपों के आधार पर राज्य की जेलों में बंद हजारों कैदियों को रिहा किया जाए। ऐसे कैदी जो संबंधित अपराध में जितनी सजा का प्रावधान है उससे अधिक समय जेलों में गुजार चुके हैं।
बिहार सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसले में उन सभी लोगों को रिहा करने का फैसला किया है जो सजायाफ्ता नहीं हैं। राज्य की जेलों में हजारों की संख्या में शराब बंदी का उल्लंघन करने के आरोपी या इसके कारोबार में लिप्त पाए गए लोगों को अब जेल से रिहा होने का एक रास्ता मिल जायगा।
इस फैसले पर रिहाई की शुरुआत इस साल गांधी जयंती के अवसर पर की जाएगी। तीन चरणों में कैदियों की रिहाई की जाएगी। इसमें मुख्य रूप से 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले और कारागार में लगातार अच्छा आचरण रखने वाले कैदियों को पहले चरण में रिहा किया जाएगा।
दूसरे चरण में अगले साल छह अप्रैल को और तीसरे और अंतिम चरण में अगले साल गांधी जयंती के अवसर पर बंदियों को रिहा किया जाएगा। भारत सरकार द्वारा निर्धारित युक्ता एवं अयोग्यता के आधार पर बंदियों की रिहाई की जाएगी।
इसी शुरुआत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर की जायगी।