
पटना : इस वक़्त के आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार की तमाम सियासी पार्टियां खुद को दलितों का सबसे बड़ी हितैषी बताने में जुट चुकी है। एससी-एसटी एक्ट को लेकर जिस तरह देश भर में माहौल बना, उसमें आरजेडी और जेडीयू समेत क्षेत्रीय पार्टियों ने दलितों को हमदर्द बनने और दिखाने की कोशिश की।
आरजेडी के पूर्व मंत्री आलोक मेहता ने मीडिया सूत्रों से कहा कि लालू यादव दलितों और पिछड़ों के सबसे बड़े नेता है। किसी भी समाज के पिछड़े और दलित से पूछेंगे कि उनका नेता कौन है तो वह लालू यादव का ही नाम लेंगे।
वहीं, जेडीयू का दावा है कि जितना दलितों के लिए नीतीश कुमार ने किया है, उतना देश में किसी ने नहीं किया। पार्टी नेता राजीव रंजन ने कहा कि महादलित विकास की बात हो या पिछड़े अति पिछड़ों के लिए योजनाएं लाने की बात इन सब में बिहार सबसे आगे है।
हालांकि इन दोनों पार्टियों के अलावा बीजेपी ने अपनी पार्टी को दलित हितैषी बताया। अटल बिहारी वाजपेयी हो या प्रधानमंत्री मोदी, सभी विशेष रूप से दलित और पिछड़ों के लिए हमेशा उत्थान में लगे रहते।
खैर इन बातों के अलावा ख़बरों की माने तो 2019 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के बीच सीट के बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार सीट को लेकर हो रही खींचतान की वजह से अब जेडीयू आगामी लोकसभा चुनाव में अकेले ही चुनाव लड़ने का मन बना रही है।