बिहार में बिना कांग्रेस महागठबंधन बनने के कगार पर?




पूर्व मुख्य मंत्री तेजस्वी यादव (फ़ोटो साभार: ट्विटर)

जहाँ महागठबंधन को लेकर विपक्ष एकता रैलियों में दिख रही है वहीँ बंद कमरे में कुछ और ही पक रहा है. अभी ममता की रैली में विपक्ष एकता का भरपूर प्रदर्शन किया गया हालांकि इसमें राहुल गांधी नहीं थे लेकिन कांग्रेस के कई नेता मौजूद रहे.

उत्तर प्रदेश में महागठबंधन में अलग थलग रही कांग्रेस का पेंच महागठबंधन में साथ को लेकर बिहार में भी फंसता दिखा रहा है. अभी कुछ दिनों पहले ही लालू ने 8 सीट से ज्यादा कांग्रेस को न देने का एलान करके एक तरह से कांग्रेस के लिए धर्मसंकट पैदा कर दिया है.



कांग्रेस ने बिहार में 16 सीटों की मांग की है और इस तरह के संकेत दिए हैं कि वो 12 से कम में समझौता नहीं करेगी. सूत्रों के अनुसार, आरजेडी बिना कांग्रेस के ही गठबंधन की योजना बना रही है. जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार, आरजेडी ने महागठबंधन की छोटी पार्टियों से कहा है कि वे बिना कांग्रेस वाले गठबंधन के लिए तैयार रहें. महागठबंधन की अधिकतर पार्टियाँ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की 3 फ़रवरी को पटना मे होने जा रही रैली से पहले सीट बंटवारे पर अंतिम रजामंदी बनाने के मूड में है. हालांकि, कांग्रेस चाहती है कि रैली को विपक्ष के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाए और सीटों के बंटवारे का एलान राहुल की रैली के बाद हो.

राजद नेता तेजस्वी यादव ने हाल में ही एसपी चीफ अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती से लखनऊ में मुलाक़ात की. इन दोनों ही पार्टियों ने अपना गठबंधन कांग्रेस के बिना ही पूरा कर लिया. तब मायावती ने कहा था कि कांग्रेस के गठबंधन में रहने न रहने से कोई अंतर नहीं होने वाला. उनका कहना था कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों एक ही हैं.

इस बात की अटकलबाजी है कि अगर राजद का र्कांग्रेस से समझौता नहीं होता है तो वह बसपा को यूपी की सीमा से सटे गोपालगंज की सीट का ऑफर कर सकती है. आरजेडी के एक सूत्र ने इस बात की पुष्टि की कि लालू की पार्टी बिना कांग्रेस के गठबंधन बनाने पर काम कर रही है.

राजद कार्यकर्ताओं से बातचीत के आधार पर हालांकि ऐसा लगता है कि कांग्रेस के साथ अभी भी समझौते की गुंजाइश ख़त्म नहीं हुई है. आरजेडी के एक नेता ने कहा कि कांग्रेस को व्यावहारिक मांग ही करनी चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी वाम दलों को भी जोड़ने की कोशिश कर रही है इसलिए वह 8 सीट से नहीं बढ़ रही है. हालांकि, कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा कि 10 से ज्यादा सीटें हमारी व्यावहारिक मांग ही है.

गौतलब यह भी है कि प्रियंका गांधी को जिस तरह से आज कांग्रेस ने अपनी सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनाया है इससे कांग्रेस के साथ गठबंधन से बचने वाली पार्टियों को अब एक बार सोचना ज़रूर पड़ेगा. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि प्रियंका के कांग्रेस में आने से कांग्रेस की टीआरपी बढ़ने वाली है.

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