
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ पटना के फुलवारी शरीफ़ थाने में मारपीट और अभद्र व्यवहार का एक मामला को दर्ज हुआ।
मंगलवार को सीपीआई ने दावा किया कि बारह उप मंडल अधिकारी और पटना जिला मजिस्ट्रेट ने जेएनयूएसयू अध्यक्ष और सीपीआई के सांसद के उम्मीदवार से मोकामा से पटना तक रोड शो की अनुमति रद्द कर दी गई जो 24 अक्टूबर से 25 अक्टूबर को पटना गांधी मैदान में को पटना में समाप्त होता।
एक बयान में, सीपीआई सत्य नारायण सिंह के राज्य सचिव ने कहा कि रैली के पीछे मुख्य उद्देश्य 201 9 के संसदीय चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए की हार सुनिश्चित करना है और राज्य में वामपंथी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष गठबंधन के गठन के लिए जमीन भी स्थापित करना है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजशवी यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान अवामा मोर्चा (धर्मनिरपेक्ष) राष्ट्रपति जीतन राम मांझी, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता और पूर्व मंत्री मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव, सीपीआई, सीपीएम के सामान्य सचिवों के अलावा, सीपीआई (एमएल) – एस सुधाकर रेड्डी, सीताराम येचुरी और दीपंकर भट्टाचार्य, क्रमशः राज्य कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने रैली में प्रतिभागियों को शामिल होने की बात कही गई।
एम्स वाली घटना के बाद बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि एम्स की घटना के बहाने कन्हैया को घेरने की तैयारी हो रही हैं।
बता दें कि पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सकों का आरोप है कि कन्हैया रात एम्स में भर्ती अपने एक मित्र और एआईएसएफ नेता सुशील कुमार से मिलने यहां पहुंचे थे। कन्हैया के साथ करीब 40-50 समर्थकों ने उनके साथ ट्रॉमा इमरजेंसी में जाने का प्रयास किया। कन्हैया के समर्थकों को जब सुरक्षा गार्ड ने रोकने की कोशिश की तो गार्ड के साथ मारपीट की।
हालांकि इसके बाद कन्हैया कुमार के ऊपर बिहार में इसी दौरान हमला भी किया गया था। इन सभी के बावजूद एम्स मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मिया तेज़ हो रही हैं।