
बिहार के भोजपुर ज़िला के आरा में 18 अगस्त, 2015 की एक चुनावी सभा में (तत्कालीन और वर्तमान) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लोगों को एक तोहफ़ा दिया था. पूरे जोश में प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि कितना चाहिए? 50 हजार करोड़ रुपया या जादा, 60 हजार करोड़ रुपया या जादा और इस तरह से उनहोंने कहा कि लो बिहार का भाग्य बदलने के लिए मैं ने सवा लाख करोड़ रुपया दिया. (वीडियो देखें)
यह अलग बात है कि इस लोकलुभावन वायदे के बावजूद एनडीए की सरकार नहीं बन पाई. नीतीश कुमार की नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी लेकिन फिर कुछ ही महीने बाद नीतीश कुमार ने पाला बदला और एनडीए की सरकार बन गयी.
सरकार डबल इंजन की हो गयी. इन सबके बीच जो प्रधान मंत्री ने सवा लाख करोड़ रुपए देने का वादा बिहार को किया था वह संभवतः नहीं मिला. प्रधान मंत्री के 15 लाख के वादे की तरह ही शायद यह वादा पूरा नहीं हुआ.
इसकी पुष्टि करने के लिए द मॉर्निंग क्रॉनिकल ने एक आरटीआई प्रश्न में प्रधानमंत्री कार्यालय से 15 सितम्बर, 2020 को पूछा. प्रश्न में पुछा गया था कि “माननीय प्रधान मंत्री ने आरा के चुनावी सभा में बिहार को जो सवा लाख करोड़ रुपए के पैकेज का वादा किया था उसका क्या हुआ? क्या वह बिहार सरकार को दिया गया? अगर दिया गया तो उसका विवरण दें. अगर नहीं दिया गया तो क्या बिहार सरकार ने उसे लेने की कोई औपचारिक पहल की.”
इस प्रश्न को 15 सितम्बर, 2020 को दायर किया गया था. प्रधान मंत्री कार्यालय ने इस पर त्वरित करवाई करते हुए इसे 17 सितम्बर को Department of Economic Affairs को अग्रसारित किया.
इसके बाद Department of Economic Affairs ने भी त्वरित कारवाई की और 24 सितम्बर को इसे Department of Expenditure को भेज दिया.
इसके बाद Department of Expenditure ने लगभग एक महीने के बाद इसका जवाब देने के लिए 20 अक्तूबर को कई केन्द्रीय विभागों को भेज दिया (देखें चित्र).
इस प्रश्न को द मॉर्निंग क्रॉनिकल की ओर से दायर करने वाले मंसूर ने बताया कि “उन्हें पूरी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री का बिहार को सवा लाख करोड़ रुपए देने का दावा उतना ही खोखला था जितना उनके और उनके अब तक के सहयोगियों के दावे. चाहे वह 15 लाख हर भारतीय खाता में भेजने का दावा हो या रोज़गार का दावा हो या महंगाई कम करने का दावा हो, खेती किसानी को मुनाफ़ा का कारोबार बनाने का दावा हो या भ्रष्टाचार मुक्त और आतंक मुक्त भारत बनाने का दावा हो सब इसी तरह खोखले साबित हुए हैं.”
“अभी क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद का दावा कि वह हर बिहारी को कोरोना का वैक्सीन मुफ़्त देंगे भी ऐसे ही झूठे वादों की एक कड़ी है. मैं पूछता हूँ कि कहाँ से देंगे वैक्सीन? क्या वैक्सीन तैयार हो गयी? और अगर वैक्सीन तैयार होने के बाद देंगे भी तो केवल बिहारियों को ही क्यों मुफ़्त देंगे? बिहार ही पूरा हिंदुस्तान है क्या? गुजरात को क्यों नहीं देंगे? कोरोना के मामले में तो बिहार से अधिक बदतर स्थिति है वहां की? पश्चिम बंगाल को क्यों नहीं देंगे? महाराष्ट्र को क्यों नहीं देंगे?” मंसूर ने कहा.
आरटीआई के सवाल पर उनहोंने कहा कि मेरे प्रश्न का जवाब ही नहीं है केंद्र के पास. अगर होता तो मेरा प्रश्न तो एक दम सीधा सादा है और सादे अंग्रेज़ी में भी है. किसी भी प्रश्न का जवाब 30 दिनों के अंदर देना है यह वैधानिक कर्तव्य है और मेरे प्रश्न को 40 दिन हो गए. अब तक मुझे एक डिपार्टमेंट से दुसरे डिपार्टमेंट में घुमाया जा रहा है.
आगे वह कहते हैं कि जनता को वादों से वशीभूत नहीं होना चाहिए. ग़लत नेता की पहचान है कि वह बड़े बड़े वादे करता है. अगर कोई कहे कि धरती पर प्रलय आने के बाद हम आपको चन्द्रमा पर बसाएँगे तो क्या जनता को यह पूछना ज़रूरी नहीं है कि कैसे? इतना अंतरिक्ष कहाँ से लाएंगे?