सदन में राफ़ेल पर भाजपा की सहयोगी ने मिलाया कांग्रेस से सुर




जो ढंग से मेट्रो नहीं चला रहे, उसे क्यों दिया राफेल का ठेका: शिव सेना सांसद अरविन्द सावंत

आज सदन में राफ़ेल का मुदा छाया रहा. राफ़ेल के मुद्दे पर विपक्ष तो विपक्ष सरकार के सहयोगी ने भी अपना पाला बदल लिया.

एनडीए में शामिल शिव सेना के सांसद अरविन्द सावंत ने केंद्र सरकार से पूछा कि जब देश में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) जैसी सरकारी कंपनी मौजूद थी, तो फिर रिलायंस कंपनी को राफेल डील का ऑफसेट पार्टनर क्यों बनया गया? सावंत ने कहा कि एचएएल के पूर्व सीएमडी कह चुके हैं कि वो राफेल बना सकते हैं, बावजूद सरकार ने एचएल की उपेक्षा की.

सांसद सावंत ने कहा कि सरकार ने पुरानी सरकारी कंपनी को नज़रअंदाज़ कर ऐसी कंपनी पर भरोसा जताया जो ढंग से मेट्रो का भी संचालन नहीं कर पा रही है.

ज्ञात रहे कि नई दिल्ली-एअरपोर्ट एक्सप्रेस मेट्रो लाइन का अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ही चलाती है जिसका ठेका भी मोदी सरकार ने ही अपने कार्यकाल में दिया है.



सरकार की सहयोगी पार्टी के नेता सावंत ने सदन में राहुल गांधी की तर्ज़ पर अनिल अंबानी को ‘डबल ए’ कह कर भी संबोधित किया. डबल ए का मतलब अनिल अम्बानी. (सदन की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने राहुल गांधी को अनिल अम्बानी का नाम लेने से मना किया तब राहुल ने पुछा कि क्या वह उन्हें एए कह सकते हैं) उनहोंने पूछा कि अगर हमारी सरकार साफ़ है तो हम क्यों जेपीसी से डर रहे हैं? बता दें कि काग्रेस इस मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की मांग कर रही है.

टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने जेटली द्वारा सदन में राफ़ेल पर चर्चा में भाग लेने पर आपत्ति उठाई और पूछा कि जब सदन में रक्षा मंत्री मौजूद हैं तब जेटली क्यों जवाब दे रहे हैं. उनहोंने कहा कि संभवतः ऐसा पहली बार हो रहा है जब सदन में मंत्री मौजूद हैं और दूसरे विभाग के मंत्री जवाब दे रहे हैं.

सौगत ने कहा कि मोदी सरकार ने 70 साल पुरानी देश की नामी कंपनी को मटियामेट कर एक नई नवेली प्राइवेट कंपनी को ठेका दिलवाया जिस पर 8000 करोड़ रुपए का क़र्ज़ पहले से है. सौगत रॉय ने कहा कि रिलायंस पहले से ही 40,000 करोड़ का घाटा झेल रही है.

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