
-द मॉर्निंग क्रॉनिकल हिंदी डेस्क
चंडीगढ़ (हरियाणा), 25 नवंबर| हरियाणा के भाजपा नेता सूरज पाल अम्मू शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को धमकी दी है कि उनका ‘सूपर्णखा’ जैसा हाल होगा। ‘सूपर्णखा’ महाकाव्य रामायण की एक पात्र है, जिसकी नाक लक्ष्मण ने काट दी थी। भाजपा नेता ने यह बयान ममता बनर्जी के उस बयान के बाद दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल संजय लीला भंसाली और उनकी विवादित फिल्म ‘पद्मावती’ व फिल्म के निर्माण में शामिल लोगों का स्वागत करने को तैयार है।
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस समेत लेखक व संस्कृति से जुड़ी शख्सियतों ने अम्मू के बयान की आलोचना की है और बयान को ‘शर्मनाक’ व ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया है।
एक जनसभा को संबोधित करते हुए अम्मू ने ‘सूपर्णखा’ के संदर्भ का उल्लेख किया था।
नाक काटने का भाव पेश करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे पता चला है कि ममता बनर्जी कह रही हैं कि संजय लीला भंसाली कोलकाता आओ। हम आपका स्वागत करेंगे। मैं कहता हूं कि यह रामचंद्रजी के भ्राता लक्ष्मणजी का गांव है और लक्ष्मणजी ने सूपर्णखा के साथ क्या किया था, यह मुझे आपको बताने की जरूरत नहीं है।”
सूरज पाल अम्मू अखिल भारतीय क्षत्रीय महासभा के भी सदस्य हैं।
उधर, तृणमूल कांग्रेस ने अम्मू से माफी मांगने को कहा है। पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा, “उनकी भाषा और टिप्पणी की अनदेखी नहीं की जा सकती है। चाहे तो वह माफी मांगे, वरना प्रदेश के लोग प्रदर्शन शुरू करेंगे।”
प्रख्यात बंगाली लेखक शिर्शेन्दु मुखोपाध्याय ने अम्मू की टिप्पणी को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं मालूम कैसे विरोध किया जाए। ऐसे बयान से हमारे बीच हताशा का भाव उत्पन्न हुआ है। बतौर राजनेता उनको अपने शब्दों का इस्तेमाल करने में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। मुझे नहीं मालूम कि पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। ऐसे बयानों पर पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए।”
शिक्षाविद नरसिंह प्रसाद भादुड़ी ने कहा कि कुछ राजनेता अक्सर सीमा लांघ देते हैं और राजनीतिक आचारण नीति को भूल जाते हैं।
कवि सुबोध सरकार ने फिल्म के निर्देशक, अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को पक्ष लेने पर ममता बनर्जी की सराहना की।
रंगकर्मी देबेश चट्टोपाध्याय ने कहा कि लोगों को धमकी देना भाजपा और आरएसएस के एजेंडे का हिस्सा है।
-आईएएनएस
भाजपा की उत्पत्ति संघ से है और संघ का कोई नाता इस देश के प्रति विकास उत्थान और एकएकजुटता के उलट रहा है। इनसे कोई भी अच्छी उम्मीद नहीं करनी चाहिए अगर ठेठ भाषा में कहें तो यह देश के गद्दार हैं। यह इतिहास ही बदलने चले हैं और देश के छात्रों को गलत ज्ञान परोस रहे हैं। जब छात्रों को ज्ञान ही गलत उपलब्ध तो देश की नीव यूही हिल जाएगी और इस तरह देश के प्रति इनकी भावना अच्छी तरह समझी जा सकती है। यह खूद तो जाहिल हैं और पुरे देश को अपनी चपेट में लेना चाहते हैं। इनसे जल्दी छुटकारा हो तो अवाम और देश दोनों बच जाएंगे।