
-समीर भारती
लगभग एक सप्ताह पूर्व अमेरिका के मिनेसोटा शहर में एक काले युवक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस बर्बरता से जान चली गयी. पुलिस वाला गोरा था और जॉर्ज काले. जॉर्ज को एक दुकानदार की शिकायत पर गिरफ्तार करने पहुंचे गोरे पुलिस वाले ने उन्हें मुंह के बल बीच सडक पर बिठाया हुआ था. राहगीर इस बर्बरता पर पहले ही पुलिस वाले को टोक रहे थे. लेकिन अंततः उनकी सांस रूक गयी. वह मर गए. उनके आखरी अलफ़ाज़ ‘I cannot breathe’ पूरे अमेरिका में विरोध का बज़वर्ड बन गया.
शायद’ यह घटना इतना तूल नहीं पकड़ता अगर अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने ब्यानबाज़ी से बाज़ आ जाते. अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस मौत के बाद ट्विटर पर ब्यान दिया कि जैसे ही लूट शुरू होती है उसी के साथ गोली चलनी चाहिए. याद रखिए एक उस ब्यान को भी जब हमारे प्रधानमंत्री ने नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे लोगों को कपडे से पहचान होती है. अनुराग ठाकुर का भी वह ब्यान याद आ गया होगा जब ठाकुर ने गोली मारो सालों का स्लोगन दिया. कपिल मिश्रा ने जब एक गर्भवती महिला जो CAA विरोधी थी पर बहुत ही भद्दी टिप्पणी की जिसका ज़िक्र यहाँ नहीं किया जा सकता.
भारत के विपरीत ट्रम्प के ब्यान से पूरा अमेरिका का गुस्सा फूट पड़ा. अमेरिकी सडक पर आ गए. कई जगह विरोध हिंसक झडप का रूप ले चुका है.
अमेरिका में कालों के साथ गोर बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं. गोरे हाथ में पट्टी लेकर शामिल हो रहे हैं. उन पट्टियों पर लिखा है कि ‘व्हाइट साइलेंस इज वायलेंस. इसका मतलब अगर इस अवसर पर गोरे चुप हैं तो अर्थ है कि वो हिंसा का पक्ष ले रहे हैं.
पूरी दुनिया में जॉर्ज के समर्थन में लोग सडकों और सोशल मीडिया पर उतरे. कुछ वह भी उतरे जो खुद एक अलग तरह की नस्लीय भेदभाव से ग्रस्त हैं. लोगों ने सडकों पर कोहराम मचाया और ट्विटर पर भी #BlackLivesMatter अपना असर दिखाता रहा. कई दिनों तक यह ट्रेंड चलता रहा.
अनुपम खेर, अशोक पंडित, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर, गिरिराज सिंह इत्यादि इत्यादि ने इस ट्रेंड में भाग न लेकर अपनी पार्टी और विचारधारा की लाज रखी.
अमेरिका में पूरा गोरा समाज जब अपने किसी एक गोरे अफ़सर की निंदनीय कृत्य के लिए खुद को इस तरह शर्मसार महसूस कर रहा है वहीँ आज दिल्ली दंगे की चार्जशीट के आने पर ताहिर हुसैन आतंकी है नाम से ट्रेंड चल रहा है.
दिल्ली दंगे की क्रोनोलॉजी आप समझ पाए या नहीं पाए लेकिन यह तो समझ में आ गया होगा कि कई मस्जिद, कई मदरसे, सैकड़ो जानें, हजारो बेघर हुए लोगों का मास्टरमाइंड ताहिर हुसैन तो अकेले नहीं हो सकता है. लेकिन दिल्ली पुलिस की मासूमियत तो देखिए कि पूरे काण्ड का मास्टरमाइंड ताहिर हुसैन निकला. ताहिर हुसैन ने मस्जिद भी जलाई, मदरसे भी जलाए, मुस्लिमों के पवित्र किताब को भी जलाया, मुसलमानों और हिन्दुओं का साथ साथ क़त्ले आम करवाया और वह सब कुछ करवाया जो कुछ मासूम लोग नहीं करवा सके.
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कुछ नए खुलासे भी हुए हैं. दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में तबलीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद का भी नाम आया है. जी हाँ, वही मौलाना साद जो कभी वुहान से कोरोना ले कर आए थे और मरकज़ में छिपा कर उसे रखा हुआ था! दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट बताया है कि हिंसा के दौरान मास्टरमाइंड फैजल फारूक तब्लीगी जमात के चीफ मौलाना साद के करीबी अब्दुल अलीम के संपर्क में थे. दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में फैजल फारूक का नाम नया नया मास्टर माइंड के तौर पर सामने आया है.
दिल्ली पुलिस अब तक CAA और NRC के विरोधियों पर अपना ज़बरदस्त शौर्य दिखा चुकी है. देश जब PPE और कोरोना टेस्टिंग किट की कमी से जूझ रहा था तब दिल्ली पुलिस छात्रों और गर्भवती महिलाओं को पकड कर जेल भेज रही थी. छात्र नेताओं पर विशेष कर मुसलामानों पर UAPA लगा रही थी. वर्तमान शासन का यह सबसे बढ़िया हथियार है सबूत के अभाव में विरोधियों को परास्त करने के लिए. UPA के पास टाडा थ NDA के पास UAPA है.
यह सब लॉक डाउन में तब हो रहा था जब देश भर में यही कथित देशद्रोही मजदूरों, ग़रीबों, बेसहारा लोगों की सबसे ज़्यादा मदद कर रहे थे. इन सब के बावजूद कहीं से कोई सुकबुकाहट तक नहीं हुई.
दिल्ली दंगे में जो देवदूत उतरे थे, मास्क लगाकर तब जब कोरोना भी नहीं था. NDTV के एक पत्रकार ने उन देवदूतों के बारे में चीख चीख कर बताया. वीडियो वायरल हुए. केजरीवाल ने बताया कि वह देवदूत उत्तर प्रदेश के किसी आसमान से उतरे थे लेकिन वह सब देवदूत ही थे. वह दंगे के मास्टरमाइंड नहीं थे. वह मास्टरमाइंड को सबक सिखाने के लिए आसमान से अवतरित हुए और सत्ता की जमीन में समा गए.
मास्टरमाइंड वह थे जो अपने देश के संविधान और स्वाभिमान के लिए लड़ रहे थे. मास्टरमाइंड वह थे जो शान्तिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे. मास्टरमाइंड वह थे जिनकी बहु बेटियों की इज्ज़त दाव पर लगी थी और जिनके अपनों की जान पर बन आई थी.
इन सबके बावजूद #IndianLivesMatter वाला भी किसी ने ट्रेंड नहीं चलाया. भारत का गोरा समाज केसरिया भांग के नशे में धुत्त एक गर्भवती महिला पर लांछन लगाने में और मुसलमानों को आतंकी बताकर उन्हें इलाज से वंचित करने में जुटा रहा.
क्या आपको नहीं लगता कि फैज़ान के भी आखरी शब्द वही होंगे जो जॉर्ज के थे. पहलू खान के भी वही होंगे और तबरेज़ के भी वही होंगे – I cannnot breathe. आखिर सांस नहीं लेने की वजह से ही तो जिंदगी के तार टूटते हैं?
अमेरिका के समाज ने दिखा दिया कि उसपर शासन कोई भी करता हो नागरिक समाज अपने मूल्यों को लेकर बहुत सचेत है.
ऐसे हमने आज #BlackLivesMatter वाला ट्रेंड देखा – केरल में एक हाथी के लिए.
वह भी सही है! कुछ तो केरल की खराबी का पता चले. दिल्ली तो दिल की तरफ धुली हुई और एकदाम साफ़ है.