
पटना (बिहार): बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने आरक्षण पर एक नई बहस की शुरुआत कर दी है. सोमवार को लोक संवाद कार्यक्रम के बाद 1, अने मार्ग में संवाददाताओं से मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय जनगणना होने पर पता चलेगा कि किस जाति की कितनी आबादी है? खासकर ओबीसी के बारे में स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी. फिलहाल एससी एसटी और अल्पसंख्यकों की जानकारी तो जनगणना में मिल जाती है, लेकिन ओबीसी की आबादी की ठीक-ठीक जानकारी नहीं मिलती. जातीय जनगणना होने के बाद आबादी के आधार पर आरक्षण का बंटवारा होना चाहिए. हम चाहते हैं कि ना सिर्फ ओबीसी बल्कि सभी वर्गों की जाति के हिसाब से गणना होनी चाहिए.
कुमार ने कहा कि बिहार में भी ग़रीब सवर्णों के लिए 10% आरक्षण जल्द ही लागू होगा. इसके लिए कानूनी पहलूओं पर विचार किया जा रहा है. कानूनी सलाह ली जा रही है कि इसे एक्ट बनाकर लागू किए जाए या एग्जीक्यूटिव आर्डर के ज़रिए. संविधान संशोधन के द्वारा केन्द्रीय सेवाओं में इसे लागू किया गया है. पहले से दिए गए एससी, एसटी और पिछड़े वर्ग के आरक्षण की सीमा को बिना छेड़े यह लागू हुआ है.
ओबीसी आरक्षण में अति पिछडो को कोटा दे केंद्र
नीतीश कुमार ने कहा कि ओबीसी समुदाय से आबादी के हिसाब से आरक्षण की मांग हो रही है. हम इसका समर्थन करते हैं. देश में 1931 के बाद जाति आधारित जनगणना नहीं हुई है. उस समय से स्थिति बहुत बदल चुकी है. नीतीश ने कहा कि केंद्र ओबीसी आरक्षण में अति पिछड़ों का अलग कोटा तय करें.
नागरिकता बिल पर रुख साफ़ करे कांग्रेस
सीएम ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल का राज्य सभा में जद-यू विरोध करेगा. अब कांग्रेस बताए कि वह इस बिल पर क्या रुख रखने वाली है. कांग्रेस ने लोकसभा में वोटिंग के दौरान वाकआउट किया, उससे साफ़ है कि वह इस बिल का समर्थन कर रही है. क्या राज्य सभा में भी कांग्रेस का यही रवैया रहेगा.