
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के उन्हें सीबीआई चीफ के पद पर बरकरार रखने के आदेश के महज़ 48 घंटे के बाद ही आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटा दिया गया. यह निर्णय पीएम मोदी के निवास पर हुए सेलेक्शन पैनल की बैठक में आनन् फानन में लिया गया. वर्मा ने पद संभालते ही 10 अधिकारियों के तबादले को निरस्त कर दिया था और 5 अधिकारियों का तबादला किया था.
वर्मा को अनिवार्य अवकाश पर भेजने के सरकार के अक्टूबर के आदेश को रद्द करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि जब तक प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता पर आधारित समिति उनकी स्थिति पर कोई निर्णय न वह कोई नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे।
समिति को यह तय तय करना था कि क्या कोई अधिकारी जो 31 जनवरी को सेवानिवृत होने वाला अपनी पूरी शक्ति के साथ पद को संभालेगा. समिति को उनका उत्तराधिकारी भी चुनना था।
आज शाम पीएम मोदी के आवास पर समिति की बैठक के बाद उन्हें पद से हटाने का निर्णय लिया गया। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस का विरोध किया था।
मोदी सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने वर्मा की बर्खास्तगी पर आश्चर्य व्यक्त किया। “ब्रेकिंग! तो, सीबीआई निदेशक के रूप में पदभार ग्रहण करने के एक दिन बाद, मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने फिर से आलोक वर्मा के पद को जल्दबाजी में स्थानांतरित कर दिया, बिना उन्हें सुने हुए, राफेल घोटाले में मोदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की संभावना के डर से! किसी भी जांच को रोकने के लिए ऐसी हताशा,” उन्होंने ट्वीट किया।
Breaking! So, a day after he resumed charge as CBI Director, the Committee headed by Modi again transfers out Alok Verma post haste, w/o even hearing him, fearing the prospect of his registering an FIR against Modi in the Rafale scam! Such desperation to prevent any investigation
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) January 10, 2019
सरकार द्वारा उन्हें और उनके डिप्टी राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने और 23 अक्टूबर की मध्यरात्रि को धावा बोल कर अंतरिम प्रमुख नियुक्त करने के बाद वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अंतरिम सीबीआई प्रमुख नागेश्वर राव ने उसी रात 2 बजे पद संभालते ही वर्मा के कार्यालय पर रातोंरात ताला लगा दिया था और उनके दल के कई लोगों का तबादला कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा उस कदम को खारिज करना सरकार के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी की बात साबित हुई और और विपक्ष द्वारा सीबीआई को अपने मकसद के लिए और विरोधियों के खिलाफ राजनैतिक टूल के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप भी सहना पड़ा।
आलोक वर्मा का तबादला कर उन्हें फायर सर्विसेज (DG Fire Services), सिविल डिफेंस और होम गार्ड का महानिदेशक (DG) बना दिया गया. वहीं, अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को नए निदेशक की नियुक्ति तक सीबीआई प्रमुख का पद सौंपा गया।