
अजीब बात है न? चौकीदार चौकन्ना है फिर भी राफेल जैसे अहम डील के कागज़ात चोरी हो गए. यह बात खुद मोदी सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के दौरान वकील ने कही.
राफेल डील को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को हो रहे सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट को बताया कि राफेल डील से संबंधित अहम दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए.
केंद्र ने कहा कि ये वही दस्तावेज हैं, जो मीडिया में दिखाए गए हैं. 36 राफ़ेल विमानों की खरीद पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से 14 दिसंबर को सरकार को दी गई क्लीनचिट को वापस लेने की मांग करने के लिए याचिकाकर्ताओं ने इन्हीं रिपोर्ट का हवाला दिया है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 14 मार्च तय की गई है.
सरकार की ओर से इस सुनवाई में उपस्थित भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने यह बात कही.
प्रशांत भूषण ने जब ‘द हिंदू‘ में पब्लिश एन राम के एक आर्टिकल का हवाला दिया, तो अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इसका विरोध किया और कहा कि ये लेख चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित है और इस मामले की जांच जारी है. ज्ञात रहे कि द हिन्दू के इस आर्टिकल में बताया गया है कि नए राफेल डील के महंगे होने की वजह बैंक गारंटी का नहीं देना है. इस आर्टिकल में और बहुत सारे ऐसे तथ्य हैं जिससे राफेल सौदे में भाजपा सरकार की पोल खुलती है. इस आर्टिकल को प्रकाशित होने के बाद भाजपा के अंदर खलबली मची है.
वेणुगोपाल ने पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने और ‘द हिंदू’ में पब्लिश आर्टिकल के आधार पर प्रशांत भूषण की ओर से बहस करने पर आपत्ति की. इस पर पीठ ने केंद्र से जानना चाहा कि जब उसका कहना है कि ये आर्टिकल चोरी हुए दस्तावेजों पर आधारित है, तो उसने इसमें सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और अपनी ओर से बहस शुरू करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि राफेल डील के अहम तथ्यों को उस समय छुपाया गया, जब इस मामले में एफआईआर दर्ज करने और इसकी जांच के लिए याचिका दायर की गयी थी.
प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर इन तथ्यों को कोर्ट से छुपाया नहीं गया होता, तो निश्चित ही सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करके जांच कराने के लिए दायर याचिका रद्द नहीं की होती.
केके वेणुगोपाल ने कहा कि भूषण जिन दस्तावेजों को अपना आधार बना रहे हैं, उन्हें रक्षा मंत्रालय से चोरी किया गया है और इस मामले में जांच जारी है.
बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने अपने दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और एडवोकेट प्रशांत भूषण की याचिकाओं पर सुनवाई की.
पुनर्विचार याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट में जब राफेल डील के खिलाफ जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया, तो केंद्र ने जरूरी बातों को उससे छुपाया था.