
समाजवादी अमर हुए भाजपाई सिंह साहब
राजनीति में इंसान का जितना तेज़ी से चरित्र बदलता है शायद ही उतनी तेज़ी से जानवरों का भी चरित्र बदलता होगा. अब देखिए, कल तक मुलायम सिंह और आज़म खान के दोस्त रहे समाजवादी नेता अमर सिंह भाजपा में जाने के बाद बिलकुल उनके रंग में ढल चुके हैं.
अमर सिंह ने आसीयू से जनता को सन्देश दिया है कि रामपुर की जनता जया प्रदा को केवल इसलिए न जिताएं कि वह भाजपा की प्रत्याशी हैं बल्कि इसलिए जिताएं क्योंकि वह हिंदुत्व की विरोधी शक्तियों के खिलाफ लड़ रही हैं. उनहोंने कहा कि हिन्दू संस्कृति को अगर बचाना है तो आज़म खान को हराना होगा. भैया अमर सिंह, तो अब तक आप हिन्दू संस्कृति की ऐसी की तैसी कर रहे थे क्या आज़म खान के साथ?
गौरतलब है कि जया प्रदा भी पहले समाजवादी पार्टी ही में थीं और कुछ दिन पहले ही मत परिवर्तन करके भाजपा में गयी हैं.
इसपर तो यह कहना बनता है कि Get Well Soon Amar Singh! .
कल के दुश्मन आज के दोस्त
ऐसे तो राजनीति में न कोई स्थायी दुश्मन होता हैं न कोई दोस्त. अब देखिए न जिसका डीएनए खराब था उसी के साथ अच्छे डीएनए वाले मिलकर बिहार में सत्ता की मलाई खा रहे हैं.
खैर अभी बात कर रहे हैं दो पुराने दोस्त जो अब दुश्मन हैं. नहीं समझे! समझना मुश्किल ही नहीं असंभव है. ये दो आजे के दुश्मन हैं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री चंद्रबाबु नायडू.
नरेंद्र मोदी ने चंद्र बाबु नायडू को कहा कि तेलुगु देशम पार्टी के चीफ नायडू दक्षिण भारतीय फिल्म बाहुबली के विलेन भल्लाल देव बताया था. इस पर चन्द्र बाबु नायडू ने कहा कि नरेंद्र मोदी कट्टर आतंकी हैं. वह अच्छे धार्मिक व्यक्ति नहीं हैं.
अब भाई आप दोनों दोस्त थे और फिर कब दोस्त बन जाएँ,क्या पता? इसलिए यहाँ तो चुप रहना ही बेहतर है.
तेज प्रताप की चिंता होने लगी सुशील बाबू को
धन्य हैं प्रभु आप भी! यहाँ राजद का घर जल रहा है और आप लगे अगिया तापने. अरे भैया, अब तो जाड़ा चला गया. कहे किसी दुसरे के झोपड़े में लगे आग से गर्मी ले रहे हैं आप.
असल में इन दिनों लालू परिवार में कलह चल रही है. अर्जुन के सारथी तेज प्रताप रूठ गए हैं. उनहोंने लालू-राबड़ी मोर्चा भी बना लिया है. अब विपक्ष को क्या चाहिए? चुनाव के दिन हैं इससे अच्छा क्या होगा कि कलह जारी रहे.
इसी का फायदा उठाकर सुशिल बाबु तेज प्रताप बाबु की सके जा रहे हैं. जैसे कि उन्होंने कह दिया राजद के कार्यकर्ताओं में तेज प्रताप की मांग ज्यादा है. लोगों का कहना है कि तेज प्रताप के भाषण देने की शैली लालू प्रसाद जैसी है. उन्होंने यह भी कहा कि यह संघर्ष अब थमने वाला नहीं है.
इतना ही नहीं, लालू परिवार का चरित्र हनन करने का ठेका लेने वाले जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार को भी तेज बाबु की चिंता होने लगी है. उन्होंने तेजप्रताप के पक्ष में उतरते हुए कहा कि यह राजनीतिक हक की लड़ाई है, जो वह लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि तेजप्रताप अपने छोटे भाई से ज्यादा अंतर से विधानसभा चुनाव में विजयी हुए थे. इसके बावजूद उनको हक नहीं दिया गया.
अच्छा ठीक है! आप दोनों में ठीक चल रहा है न? संभालिए इस बार भी नीतीश बाबु का डीएनए खराब न हो जाए और नरेंद्र मोदी जी का डिनर कैंसिल न कर दें नीतीश बाबू.