एनआरसी का परिणाम नोटबंदी से अधिक भयावह होगा: कन्नन गोपीनाथ




पटना विश्विद्यालय के छात्रों से बात चीत करते पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथ
एक प्रश्न के उत्तर में उनहोंने कहा कि लोगों को इस सवाल से भ्रमित किया जाता है कि 70 साल में देश में क्या हुआ. उनहोंने कहा कि देश की आज़ादी के बाद अकेले बंगाल में अकाल से लाखों लोग मरे थे, देश की साक्षरता दर 17 प्रतिशत थी, भारतीय की औसत आयु 32 वर्ष थी. देश जब आज़ाद हुआ था तब पूरी दुनिया यह कह रही थी यह देश इतना विविध है कि यह अधिक दिन चलेगा ही नहीं. लेकिन 70 साल के बाद में देश टिका रहा यह 70 साल की उपलब्धि है. 70 साल पहले देश कहाँ से शुरू हुआ था और आज कहाँ है इसका जब हम आकलन करेगे तो मालूम होगा कि देश में क्या क्या हुआ है.

“लोकतंत्र कितना मज़बूत है इसका अंदाज़ा लगाने के लिए प्रश्न पूछना होगा. प्रश्न पूछने पर अगर सरकार हिल जाती है तो समझिए कि लोकतंत्र कमज़ोर हो रहा है,” यह बात कह रहे थे केरल के बहुचर्चित आईएएस कन्नन गोपीनाथ जिन्होंने कश्मीर मुद्दे पर अपनी आईएएस सेवा से इस्तीफा दे दिया था. मजे की बात यह कि वह यह सब शुद्ध हिंदी में बोल रहे थे.

कन्नन आज इप्टा की तरफ से आयोजित “संविधान की सुनिए” लेक्चर मे पटना विश्वविद्यालय के छात्रो से मुखातिब थे. उनहोंने कहा कि आज बुरी ताक़त इसलिए हावी है क्योंकि अच्छी ताक़त ने पवेलियन छोड़ दिया है. सत्ता पार्टी शॉट्स वही खेल रही है जो पवेलियन में बैठे लोग चाहते हैं. उनहोंने अच्छे लोगों से अपील की कि वह भी पवेलियन में बैठना शुरू करें तभी सत्ता नियंत्रित होगी.

पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा कि अगर आप आज चुप हैं तो आप देशद्रोही हैं. सरकार के खिलाफ बोलना देशद्रोह नहीं है. देशद्रोह है सरकार के काले कारनामों में अपनी सहभागिता अदा करना.

कन्नन ने कहा कि उन पर दुनिया का कोई ऐसा अपशब्द नहीं है जो न आजमाया गया हो लेकिन यही उनकी चाल है कि लोग डर जाएं और फिर मुद्दे की बात न करें.

एक प्रश्न के उत्तर में उनहोंने कहा कि लोगों को इस सवाल से भ्रमित किया जाता है कि 70 साल में देश में क्या हुआ. उनहोंने कहा कि देश की आज़ादी के बाद अकेले बंगाल में अकाल से लाखों लोग मरे थे, देश की साक्षरता दर 17 प्रतिशत थी, भारतीय की औसत आयु 32 वर्ष थी. देश जब आज़ाद हुआ था तब पूरी दुनिया यह कह रही थी यह देश इतना विविध है कि यह अधिक दिन चलेगा ही नहीं. लेकिन 70 साल के बाद में देश टिका रहा यह 70 साल की उपलब्धि है. 70 साल पहले देश कहाँ से शुरू हुआ था और आज कहाँ है इसका जब हम आकलन करेगे तो मालूम होगा कि देश में क्या क्या हुआ है.

कश्मीर के मुद्दे पर बात करते हुए उनहोंने कहा कि कश्मीर में आज फ़ौज सिक्यूरिटी गार्ड की तरह दरवाज़े दरवाजे पर लगी हुई है. यह पूरी भारतीय फ़ौज का अपमान है. फ़ौज का काम है दुश्मनों से देश की सुरक्षा करना न कि एअरपोर्ट पर कार्यरत सीआईएसएफ़ की तरह लोगों की फ्रिस्किंग करना. उदाहरण देते हुए कहा कि अगर पटना विश्वविद्यालय में जगह जगह फ़ौज को लगा दिया जाए जो आते जाते आप की जांच करे तो फ़ौज की इज्जत आपकी नज़र में क्या रहेगी.

उनहोंने कहा कि जो लोग नेशनल इंटीग्रेशन की बात करते है उनका कर्तव्य था कि आज कश्मीर में जो हो रहा है वह उसके खिलाफ मिलकर आवाज़ उठाते. उनहोंने कहा कि अगर देशवासियों ने मिलकर आज कश्मीरवासियों का साथ दिया होता तो नेशनल इंटीग्रेशन का सपना आज का आज पूरा हो जाता. अपना उदाहरण देते हुए कहा कि जब मैंने कश्मीर पर आवाज़ उठाई तब मुझे एक कश्मीरी का सन्देश आया कि चाहे पूरा कश्मीर जल जाए लेकिन आपके लिए कश्मीर में एक घर सुरक्षित रहेगा.

उनहोंने सरदार पटेल का उल्लेख करते हुए कहा कि सरदार पटेल ने नेशनल इंटीग्रेशन के लिए राजाओं पर बंदूके तानी थी न की अवाम पर. और पटेल का कश्मीर को 370 देना इसी बात की ओर इशारा करता है कि पटेल जनता का ख्याल करना जानते थे. उनहोंने कहा कि हैदराबाद और जुनागढ़ की बहुमत अवाम हिन्दू थी और राजा मुसलमान इसलिए वहां राजा से बिना कोई संधि किए उन रजवाड़ों को भारत में मिलाया लेकिन कश्मीर में बहुमत अवाम मुसलमान थी और राजा हिन्दू इसलिए अवाम का ख्याल रखते हुए उसे विशेष राज्य का अधिकार दिया गया. उनहोंने यह भी कहा कि पूरे नार्थ स्टेट में, हिमाचल में, उत्तराखंड में, आदिवासी क्षेत्र में 370 की तरह ही 371 लागू है. 35A लागू है. कर्णाटक का आज भी अपना अलग झंडा है.

उनहोंने कहा कि मीडिया सत्ता के पाले में आकर साथ साथ तो खेल ही रही है न्यायालय जिसे अंपायर की भूमिका निभानी चाहिए थी वह अब प्लेयर बनी हुई है.

उनहोंने कहा कि संविधान के अनुसार हमारा मौलिक कर्तव्य है कि हम अपनी ज़िम्मेदारी बेहतर तरीके से निभाएं. मीडिया की ज़िम्मेदारी है सत्ता से प्रश्न पूछना और यही उसका मौलिक कर्तव्य है और उसे अपना मौलिक कर्तव्य पूरा करना चाहिए.

नोटबंदी का उल्लेख करते हुए कहा कि नोटबंदी का क्या हुआ. क्या उनमें से एक भी ऐसा हुआ जो हमसे वादा किया गया था? काला धन तो स्विट्ज़रलैंड से आने वाला था, हमें कहाँ पता था कि जो धन हमारी माओं और बहनों की पूरी जिंदगी की बचत थी वह काला धन बन जाएगा. कहा गया था कि नोटबंदी से नकली करेंसी पर रोक लगेगा. लेकिन हुआ यह कि अभी एक सप्ताह पहले आरबीआई ने कहा कि इसने 2000 का नोट छापना बंद कर दिया क्योंकि बाज़ार में हाई क्वालिटी का छपा हुआ 2000 का नोट पहुँच रहा है.

एनआरसी का उल्लेख करते हुए कन्नन ने कहा कि अगर देश में एनआरसी लागू हुआ तो इसका परिणाम नोटबंदी से भी भयावह होगा. उनहोंने कहा कि वह लोग जो गरीब हैं, निरक्षर हैं, मजदूर हैं, भूमिहीन हैं वह कहाँ से साबित करेंगे कि वह इस देश के नागरिक हैं.

उनहोंने कहा कि नोटबंदी पर हम चुप रहे हैं और परिणाम सामने है. एनआरसी पर हमें चुप नहीं रहना होगा.

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