बिहार में कोरोना का असर बढ़ा, बन सकता है राज्य के लिए संकट




शनिवार और रविवार के बीच कोरोना से दो लोगों की मृत्यु की पुष्टि बिहार में हो चुकी है. शनिवार को पटना एम्स में कोरोना से एक की मृत्यु की पुष्टि होने के बाद पटना के ही एनएमसीएच में एक और के मरने की ख़बर है.

पटना के एनएमसीएच में भर्ती औरंगाबाद जिले के मनोज कुमार की मौत हो गई है. मनोज के शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है. मनोज की पत्नी भी एनएमसीएच में भर्ती हैं. दोनों उड़ीसा से लौटे थे.

इससे पहले पटना एम्स में कोरोना से पहली मौत शनिवार देर रात हुई है. पटना एम्स में भर्ती मुंगेर के चुरम्बा गांव निवासी युवक सैफ अली (38 वर्ष) ने शनिवार को दम तोड़ दिया था. हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, वह कतर से किडनी का इलाज कराकर 13 मार्च को लौटा था. एम्स निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि किडनी फेल होने की शिकायत पर उसे भर्ती कराया गया था. बाद में कोरोना की जांच की गई, जिसमें पॉजीटिव पाया गया. पटना एम्स में ही भर्ती एक अन्य महिला की रिपोर्ट पॉजीटिव आई है. यह महिला स्कॉटलैंड से पटना आई थी. बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने भी इसकी पुष्टि की है.

युवक कई अस्पताल का चक्कर लगा कर एम्स आया था वहां भी डॉक्टर कोरोना संक्रमण से अनजान थे

रिपोर्ट के अनुसार, मुंगेर के चुरंबा गांव के सैफ अली का कतर में किडनी का इलाज चल रहा था. 13 मार्च को वह अपने गांव लौटा था. मुंगेर के एक प्राइवेट अस्पताल में एक दिन के लिए भर्ती हुआ था. वहां से उसे पटना के श्रवण अस्पताल रेफर कर दिया गया था. जहां से शुक्रवार को पटना एम्स में भर्ती कराया गया था. कतर से लेकर घर और कई अस्पतालों तक युवक के कोरोना संक्रमण की ख़बर नहीं थी.

बिहार सरकार ने अब तक इस केस में क्या क्या किया है इसका भी कोई अंदाज़ा नहीं है. ऐसे इससे संभावना है कि जहाँ जहाँ इस युवक का इलाज हुआ होगा वहां इसके संक्रमण होने से अनजान होने के कारण वह कुछ भी नहीं किया गया होगा जो ऐसे मामले में किया जाना चाहिए. अतः इसकी प्रबल संभावना है कि इस क्रम में कई और लोग संक्रमित हुए होंगे.

युवक की मौत के बाद परिवार को अलग थलग किया गया लेकिन उन अस्पतालों और नर्सिंग होम का क्या?

युवक की मौत के बाद मुंगेर में उसके परिवार को आइसोलेट कर दिया गया है। मेडिकल टीम चुरम्बा गांव पहुंचकर उसके साथ ही अन्य लोगों की जांच कर रही है। लेकिन मुंगेर के जिस अस्पताल में वह रहा और फिर उसे पटना भेजा गया और फिर AIIMS पटना जहाँ जहाँ वह आया वहां की गहन जांच भी आवश्यक है. अन्यथा इस बात का पूरा खतरा है कि अन्य संक्रमित हुए होंगे और यह स्टेज 3 का रूप ले ले.

बिहार में दुसरे राज्यों से आ रहे लोगों की कोई जांच क्यों नहीं?

बिहार में ओडिशा और स्कॉटलैंड से आई दो महिलाओं की जाँच में कोरोना का संक्रमण पाया गया है. ऐसे में बाहर के राज्यों से आ रहे लोग बिहार के लिए बड़ी चुनौती हैं. हालाँकि राज्य सरकार कह रही है कि उसकी नजर मुंबई, पुणे और अन्य राज्यों से बिहार लौट रहे लोगों पर है। लेकिन वह कितना है यह इससे ही अंदाज़ा लगाया जा सकता कि सरकार मात्र दानापुर स्टेशन के दो स्कूलों में पंडाल लगाकर चिकित्सकीय जांच करवा रही है. इनमें से संदिग्ध पाए जाने पर उन्हें राजधानी में चार जगहों पर बने आइसोलेशन वार्ड में भेजा जाएगा. राज्य के बॉर्डर पर रेल या राजमार्ग से आने वालों के जाँच की कोई व्यवस्था नहीं है.

बिहार के आरएमआरएई स्थित जांच केंद्र में रविवार दोपहर तक मात्र 129 सैंपल की जांच हुई है. इसमें दो में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है. अभी 41 सैंपल की जांच चल रही है.

आप इसी से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मात्र 129 सैंपल में 2 की पुष्टि हुई. अधिक जाँच होगी तो अधिक लोगों के पुष्टि की संभावना है.

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