
—द मॉर्निंग क्रॉनिकल हिंदी डेस्क
पटना, 26 दिसंबर | बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यहां मंगलवार को कहा कि जो समाज और देश, शिक्षा को सर्वाधिक महत्व देते हैं, वे तेजी से प्रगति करते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी देश आतंकी गतिविधियों, सैनिक पराजय या रॉकेटों के बल-बूते नष्ट नहीं किया जा सकता, बल्कि वह संकटग्रस्त तभी होता है, जब वहां की शिक्षा व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाए। पटना के नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि तालीम से बढ़कर दूसरी कोई ताकत नहीं। शिक्षा मनुष्य को नैतिक मूल्यों और आदर्शो के प्रति आस्थावान बनाती है।
बिहार में महिला सशक्तीकरण के प्रयासों को सार्थक बताते हुए उन्होंने कहा कि आज 29 स्वर्णपदक प्राप्तकर्ताओं में छात्राओं की संख्या 20 होना यह साबित करता है कि छात्राएं अपनी प्रतिभा का समुचित उपयोग कर रही हैं। उन्होंने आह्वान किया कि छात्रों को भी पढ़ाई में मन लगाकर कम-से-कम बराबरी पर जरूर आना चाहिए।
राज्यपाल ने पिछले दिनों राजभवन में संपन्न कुलपतियों की बैठक की चर्चा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालय को अपने सभी भवनों में छात्राओं के ‘वाशरूम’ की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया है। इनके बगैर नए महाविद्यालयों को प्रस्वीकृति नहीं दी जाएगी।
राज्यपाल ने आश्वस्त किया कि राजभवन विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को लेकर कोई भी हस्तक्षेप की मंशा नहीं रखता और उनकी समस्याओं को लेकर भरपूर सहयोग का नजरिया रखता है।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के विकास पर जोर देने की आवश्यकता बताई।
कर्यक्रम में दीक्षांत भाषण देते हुए मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को दहेज-उन्मूलन के लिए जागरूकता अभियान को तेज करने में सहयोग करना चाहिए।
कार्यक्रम में नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ आऱ के. सिन्हा ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। दोनों राज्यपालों ने विद्यार्थियों के बीच स्वर्ण-पदकों एवं डिग्रियों का वितरण किया। कार्यक्रम में 98 वर्षीय राजकुमार वैश्य को भी स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान की गई।
–आईएएनएस