
गौर करने वाली बात यह है कि इस दुसरे वीडियो में मिश्रा ने कहा है कि उनकी न तो पुलिस शिकायत दर्ज करती है और न ही न्यायपालिका इसमें कोई हस्तक्षेप करती है तो फिर उन जैसे लोग कहाँ अपनी शिकायत करें। सरकार को चाहिए कि सेना के दर्द को समझें और उन्हें हल करें। हो सकता है मिश्रा और दुसरे लोगों का तरीका गलत हो लेकिन क्या उनका दर्द भी झूठा है?
पंकज मिश्रा आपको अगर याद न हों तो बता दें कि आज से कुछ महीने पहले इन्होंने सीआरपीएफ के जवानों की स्थिति को उजागर करने वाला एक वीडियो प्रकाशित किया था जो भयंकर रूप से वायरल हुआ। बिहार का रहने वाला सीआरपीएफ का यह जवान इस वीडियो में बता रहा है कि जो सीआरपीएफ देश के बड़े नेताओं को सुरक्षा देने के अलावा देश की आंतरिक सुरक्षा को बहाल करने में अपना सब कुछ न्योछावर कर रहा है वह किस दयनीय स्थिति में रह रहा है।
देश की वर्तमान सरकार के विरुद्ध तीन सालों में कई बार ऐसी शिकायतें आई हैं कि सेना के जवानों की स्थिति पिछली सरकारों की अपेक्षा अधिक बदतर हुई हैं। इससे पहले सियाचिन में बहाल सेना के एक जवान ने भी सेना के अंदर व्याप्त परिस्थितियों को उजागर किया था।
पंकज मिश्रा ने अपने पहले वीडियो में प्रधान मंत्री से कहा था कि उन्होंने उन्हें वोट किया था और उनको सेना की वास्तविक स्थिति को लेकर अवगत नहीं कराया जा रहा है। इस जवान ने कहा कि उनहोंने मोदी जी को वोट किया था न कि भाजपा को फिर मोदी जी तक सेना की बात क्यों नहीं पहुँच रही है। उन्होंने सुकमा में हुई जवानों की हत्या का हवाला देते हुए कहा कि जिन नक्सलियों ने सीआरपीएफ के जवानों पर हमला किया था उनमें 200 से अधिक महिलाएं थीं। महिलाओं का इतनी बड़ी संख्या में नक्सल में शामिल होना अपने आप में एक बड़े ख़तरे की चेतावनी देता है। इस वीडियो के वायरल होने के पश्चात उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
इससे पहले बीएसएफ के जवान तेज बहादुर ने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था उसके बाद उन्हें भी निलंबित कर कारवाई की गयी थी। इसके बाद इसी वर्ष जनवरी में मथुरा के सौंख कस्बा के ग्राम सहजुआ थोक के रहने वाले सीआरपीएफ जवान जीत सिंह का प्रधानमंत्री के नाम वीडियो वायरल हुआ था।
कल सीआरपीएफ के जवांन पंकज मिश्रा को गिरफ्तार कर कल भेज दिया गया है। इस जवान ने एक और वीडियो प्रकाशित कर मोदी, राजनाथ सिंह के अतिरिक्त नीतीश कुमार पर कई आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस जवान ने 21 दिनों के भूख हड़ताल की भी इस वीडियो में घोषणा की थी।
मिश्रा को असम के जोरहाट जिले के रोवरिया में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल शिविर से पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ सोशल नेटवर्किंग साइटों पर आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए गिरफ्तार किया है।
जोरहाट पुलिस अधीक्षक पी.के. भुयान ने सोमवार को कहा कि पंकज मिश्रा को रोवरिया में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल शिविर से बटालियन कमांडर बी. भुयान द्वारा किए गए एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। मिश्रा के खिलाफ आईटी अधिनियम के विभिन्न वर्गों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
मिश्रा को अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, पुलिस ने कहा।
गौर करने वाली बात यह है कि इस दुसरे वीडियो में मिश्रा ने कहा है कि उनकी न तो पुलिस शिकायत दर्ज करती है और न ही न्यायपालिका इसमें कोई हस्तक्षेप करती है तो फिर उन जैसे लोग कहाँ अपनी शिकायत करें। सरकार को चाहिए कि सेना के दर्द को समझें और उन्हें हल करें। हो सकता है मिश्रा और दुसरे लोगों का तरीका गलत हो लेकिन क्या उनका दर्द भी झूठा है?