
-समीर भारती
2 से 3 हज़ार साल से भारत का अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग शोषित: वामन मेश्राम मुस्लिमों को शिक्षा में आगे आना चाहिए और संगठित होना चाहिए तभी कोई आन्दोलन सफल हो सकता है: ओबैदुल्लाह खान आज़मी हमें अपना नेतृत्व बहुत सोच समझ कर तय करना होगा और तभी हम अपनी आस्था, अपने संविधान और अपने देश को सुरक्षित रख सकते हैं: वली रहमानी
पटना (बिहार), 15 अप्रैल, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क) पटना के गांधी मैदान में आज दीन बचाव, देश बचाव कांफ्रेंस में मुस्लिमों और दलितों के अपार जन समूह को संबोधित करते हुए बामसेफ के चेयरमैन वामन मेश्राम ने कहा कि भारत का अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग 2 से 3 हज़ार सालों से शोषित है और मुसलमानो का शोषण देश के विभाजन के बाद शुरू हुआ. उनहोंने कहा कि यहाँ मुसलमान विभाजन से पहले शोषित नहीं था लेकिन अब इन्हें शोषण का शिकार बनाया जा रहा है और सच्चर कमिटी की रिपोर्ट इसका प्रमाण है.
“लोकतंत्र के चारों स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया 3.5 प्रतिशत ब्राहमणों के नियंत्रण में है और आज लोकतंत्र नहीं बल्कि ब्राहमण तंत्र इस देश में काम कर रहा है।“ बामसेफ नेता ने कहा।
उनहोंने कहा कि 20 मई, 1956 को बाबा साहब अंबेडकर ने नेहरु को कहा था कि अगर आप ब्राह्मणवाद और लोकतंत्र को साथ साथ ले कर चलेंगे तो ब्राह्मणवाद लोकतंत्र को निगल जाएगा और आज वही हुआ. उनकी बात सच हो गयी.
उनहोंने मीडिया के बारे में कहा कि आज की मीडिया ब्राह्मण और बनिया के नियंत्रण में है और यह नेशनल मीडिया नहीं बल्कि टॉयलेट मीडिया है। आज के समाचारपत्रों का उपयोग हम टॉयलेट पेपर के तौर पर करते हैं। ये समाचारपत्र नहीं टॉयलेट पेपर हैं।
उनहोंने कहा कि आज प्रशासन में आरक्षण के बावजूद ऊँची जाति का ही वर्चस्व है और इसी लिए गरीबों और अनुसूचित जातियों, जनजातियों का एफ़आईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ता है। यहाँ का अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग मिनट मिनट भेदभाव का शिकार होता है और इसका कारण यह है कि आईएस, आईपीएस अधिकतर उच्च जाति के लोग हैं.
उनहोंने कहा कि 3.5 प्रतिशत ब्राह्मण अपनी संख्या के आधार पर गाँव का सरपंच भी नहीं बना सकते लेकिन आज वह इस देश का सरपंच तय करते हैं.

उनहोंने कांग्रेस और अन्य दूसरी पार्टियों के बारे में कहा कि यह पार्टियाँ सांपनाथ और नागनाथ हैं. सांपनाथ और नागनाथ दोनों ही आपको डसता है और दोनों ही ज़हरीले हैं. अब ज़रूरत है कि जो शोषित हैं उनमें एकता स्थापित हो और हम न्याय स्थापित के लिए यह एकता करें. हमें यह एकता न्याय स्थापित करने के लिए करना ही होगा.
उनहोंने कहा कि आज जहाँ भी दंगे होते हैं वहां दंगे हिन्दू और मुसलमान के बीच नहीं बल्कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग बनाम मुस्लिम होते हैं लेकिन इन दंगों को हिन्दू मुस्लिम दंगा का नाम दिया जाता है. असल में ब्राह्मण इन दंगों को करवाने के लिए इनका ही उपयोग करते हैं.
उनहोंने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति हिन्दू नहीं हैं वे तो हिन्दुओं के लिए अछूत हैं. और उन अछूतों का उपयोग दंगे करवाने में किया जाता है हिन्दू बना कर लेकिन जब वह रोज़गार के लिए जाते हैं तो उन्हें अयोग्य कह कर भगा दिया जाता है.
उनहोंने कहा कि इस देश में समान नागरिक संहिता लागू नहीं हो सकता क्योंकि यहाँ केवल मुस्लिमों का पर्सनल लॉ नहीं है बल्कि इस देश में आदिवासियों, ईसाईयों, सिखों, लिंगायतों का भी पर्सनल लॉ है. मोदी सरकार समान नागरिक संहिता नहीं लागू कर सकती इसीलिए वह तीन तलाक़ का मुद्दा ले कर आई है. हम सभी लोगों के पर्सनल लॉ को सुरक्षित रखने के लिए लड़ेंगे.
इस अवसर पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश से मुसलमानों के कई धर्म गुरु मौजूद थे. उत्तर प्रदेश से आए पूर्व राज्य सभा सांसद ओबैदुल्लाह खान आज़मी ने कहा कि भारत स्वतंत्र हुआ था क्योंकि हम की ताक़त थी. हम का मतलब हिन्दू और मुसलमान हैं. उनहोंने कहा कि आज दंगों में हिन्दू और मुसलमान नहीं मारे जाते बल्कि हिंदुस्तान की हत्या की जाती है. उनहोंने कहा कि एक विभाजन हम देख चुके हैं और विभाजन हम नहीं होने देंगे.
उनहोंने कहा कि आज जिस तीन तलाक़ की बात पर हंगामा हो रहा है उसका कोई कांसेप्ट इस्लाम में नहीं है. तीन तलाक़ एक बार देने वालों के लिए इस्लाम में सज़ा देने का प्रावधान है और जो ऐसा करते हैं वह अत्याचारी हैं.
मुस्लिम वीमेन बिल का उल्लेख करते हुए उनहोंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि तीन तलाक़ होगा ही नहीं तो फिर सज़ा क्यों? उन्होंने कहा कि हम तीन तलाक़ से सबंधित इस बिल पर सरकार के आगे नहीं झुकेंगे.
उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहिए और संगठित होना चाहिए तभी कोई आन्दोलन सफल हो सकता है. उनहोंने सुब्रमण्यम स्वामी का उल्लेख करते हुए कहा कि वह खुल कर टीवी स्टूडियो में कहते हैं कि वह मुसलमानों को बाँट कर शिया को सुन्नी से और सुन्नी को शिया से पिटवाएँगे और बरेलवी को देवबंदी और देवबंदी को बरेलवी से पिटवाएँगे जो सफल नहीं होगा. आज का यह कांफ्रेंस इस बात का प्रमाण है कि मुसलमान टुकड़ों में नहीं बंटे हैं. उनहोंने कहा कि 90% हिन्दू आज भी सेक्युलर हैं और उन्हें मोदी को प्रधान मंत्री बनाने का सबक़ भी मिल चुका है वह समझ चुके हैं और अब वह झांसे में नहीं आने वाले.
इस अवसर पर कई और मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे जिनमें अहले हदीस, इदारा शरिया, जमाते इस्लामी, खानकाह मुजीबिया और अन्य खानकाहों (सूफियों का मठ) के प्रमुख थे.
प्रोग्राम की अध्यक्षता ईमारत ए शरिया के प्रमुख वाली रहमानी ने की. उनहोंने कहा कि आज सरकार के प्रतिनिधि ही समाज में अशांति फैला रहे हैं. आज कोई दलित अपनी शादी में घोड़ी नहीं चढ़ सकता लेकिन लोग हेलीकाप्टर से अपनी पत्नी को ब्याह सकते हैं. आज कोई अपने झोले मे क्या ले जा रहा है इस आधार पर लोगों की पिटाई हो रही है. आज मुस्लिमों, दलितों के घरों को लूटा जा रहा है उनका खून बहाया जा रहा है. आज संविधान के साथ छेड़ छाड़ किया जा रहा है जिसे हम सहन नहीं कर सकते. आज हमारे शरियत के साथ छेड़ छाड़ किया जा रहा है जो असहनीय है.
उनहोंने वामन मेश्राम की बात को दोहराते हुए कहा कि जो वर्ग शोषित हैं उन्हें इकठ्ठा होना होगा और संगठित हो कर संविधान और लोकतंत्र के दायरे में इस समस्या का हल ढूंढना होगा. भावनात्मक और उत्तेजित हो कर इस समस्या का समाधान नहीं ढूँढा जा सकता.
उनहोंने कहा कि हमें अपना नेतृत्व बहुत सोच समझ कर तय करना होगा और तभी हम अपनी आस्था, अपने संविधान और अपने देश को सुरक्षित रख सकते हैं.
कुछ राजनैतिक विश्लेषक दीन बचाव देश बचाव कांफ्रेंस में वामन मेश्राम की उपस्थिति, पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी का खुला समर्थन और दलितों की भारी संख्या में उपस्थिति को मुस्लिम-दलित एकता की पहल के तौर पर देख रहे हैं.
वरिष्ठ फ़िल्म निर्माता और राजनैतिक विश्लेषक नवेद अख़तर के अनुसार अगर यह कांफ्रेंस दलित-मुस्लिम एकता की पहल है तो यह स्वागत योग्य है. लेकिन इसमें दलित, आदिवासी, सभी अल्पसंख्यकों, पिछड़ी, अत्यंत एवं अन्य पिछड़ी जातियों का समागम हुआ तो क्रन्तिकारी कदम होगा. उनहोंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब अनुसूचित जाति, जनजाति, जाट और अल्पसंख्यकों का उत्तर प्रदेश में समन्वय बना तो चौधरी चरण सिंह मुख्य मंत्री बने. और यही कारण है कि संघ और भाजपा यह लगातार कोशिश करती है कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक साथ नहीं आएं.
Good Initiative. Hopefully, the country will benefit from this.