
अभी सीबीआई विवाद थमा ही नहीं था कि भारतीय रिजर्व बैंक के साथ सरकार के गहरे मतभेद की खबरें सामने आने लगी हैं। दरअसल ताजा विवाद आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के एक बयान से सामने आया है।
डिप्टी गवर्नर आचार्य ने कहा है कि आरबीआई कोई सरकारी विभाग नहीं है और सरकार को इसको और स्वायत्तता देने की जरूरत है। सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को नजरअंदाज करना विनाशकारी हो सकता है।
अभी तक जो मतभेद की खबरें रिपोर्टों के आधार पर सामने आती थीं उन्हें विरल आचार्य ने यह कह कर सड़कों पर ला दिया कि सरकार टी20 मैच खेलती है। उन्होंने कहा कि सरकार चुनाव जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए टी20 मैच वाली सोच के साथ फैसले लेती है जबकि भारतीय रिजर्व बैंक को टेस्ट मैच खेलना पसंद है।
मीडिया रिपोर्टों की मानें तो सरकार और आरबीआई के बीच खींचतान पिछले वित्तीय वर्ष के आरम्भ यानि मार्च-अप्रैल 2017 से ही चल रही है। पहली तकरार ब्याज दरों को लेकर ही हुई और उसके बाद जब इस साल जब नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के भाग जाने की खबर सामने आई तो सरकार ने ठीकरा आरबीआई के सिर फोड़ा और उसके सख्त एनपीए नियमों और निगरानी तंत्र पर सवाल उठा दिये।