एफआईआर के बाद मुसलमानों को आतंकी कहने वाली डॉ आरती बनी शूरवीर से माफ़ीवीर




डॉ आरती लालचन्दानी (वायरल वीडियो से लिया गया चित्र)

उत्तर प्रदेश के कानपुर में मुस्लिमों पर टिप्पणी करने वाली जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. आरती लालचंदानी शूरवीर से अब माफ़ीवीर बनती नज़र आ रही हैं.

डॉ आरती वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें वह मुस्लिम समुदाय के लोगों को आतंकी कह रही थी और कोई भी इलाज उपलब्ध कराने से इनकार कर रही थी. बात बात में वह यह भी कह रही थी कि कहीं उसकी बात को रिकॉर्ड को नहीं किया जा रहा है.

आरती का वीडियो मई के अंत में फेसबुक और व्हाट्स एप के विभिन्न ग्रुपों पर वायरल हो गया था जिसके बाद उस पर कई लोगों ने एफ़आईआर करवाने और कठोर दंड के साथ साथ अविलंब पद से हटाने की बात कही थी.

पत्रकार CJ Werleman ने 1 जून को अपने ट्विटर पर इसे शेयर किया था. इसमें उन्होंने लिखा कि कानपूर, भारत की एक डॉक्टर कह रही है कि मुस्लिम को COVID19 से संक्रमित कर देना चाहिए.

इसी तरह से हज़ारों लोगों ने इस वीडियो को शेयर करके प्रतिक्रिया दी थी.

इसे पूर्व सांसद और भाकपा (एम) की पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली ने भी शेयर किया.

पूर्व सांसद ने मीडिया को जारी अपने बयान में कहा है कि प्राचार्य असंवैधानिक और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को जो अस्पताल लाए गए थे, उन्हें आतंकवादी बता रही हैं.

उन्हें सरकारी मदद से वंचित रखने और उनका इलाज नहीं होना चाहिए की बात कर रही हैं. पूर्व सांसद ने जिला प्रशासन से जांच की मांग की है। वीडियो सही पाए जाने पर प्राचार्य के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी मांग की गई.

इन सबका असर यह हुआ कि आरती अपना माफ़ी का वीडियो बना कर शेयर कर रही है. उसने अपने एक वीडियो में एक मौलाना को अपने पास बिठा कर कहा कि उसके कई मुसलमान रिश्तेदार हैं और वह मुसलामानों के बारे में ऐसा सोच भी नही सकती. वह मुसलमानों के लिए अपनी जान तक दे सकती है.

उत्तर प्रदेश ने अभी तक इस डॉक्टर पर क्या कारवाई की है इसका पता नहीं चल पाया है. लेकिन यह तो पक्का है कि डॉक्टर और शिक्षक दोनों के पवित्र पेशे पर ऐसे ज़हरीले लोगों को रहने का कोई अधिकार नहीं है. अगर राजनीति ही करनी है तो भाजपा का दरवाज़ा ऐसे लोगों के लिए हमेशा खुला होता है.

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