
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को एस्मा के दायरे में लाने की संभावना पर विचार करने वाली समिति को भंग करने का आदेश दिया है।
हालांकि ये माना जा रहा डीयू के शिक्षकों के भारी विरोध के बाद जावेड़कर ने यह कदम उठाया है। इस मामले में जावेड़कर ने शनिवार को ट्वीट करके कहा कि सरकार डीयू, जेएनयू या किसी अन्य विश्वविद्यालय में शिक्षकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रोकना नहीं चाहती है।
इस बीच एकेडमिक्स फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट ने एक विज्ञप्ति जारी करके सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है और केन्द्रीय कर्मचारी सेवा नियमावाली को भी लागू न करने की मांग की है।
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय कानून 1922 में संधोधन करके एस्मा कानून के दायरे में लाने की संभावना तलाशने पर विचार के लिए चार अक्टूबर को एक समिति गठित की थी जिसे एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी थी।