
केजरीवाल सफलता की क्रेडिट खुद लेने और विफलता का दोष दुसरों पर मढ़ने में दिन ब दिन माहिर होते जा रहे हैं. कोरोना के शुरूआती संक्रमण में केजरीवाल कोरोना के फैलने का दोष तबलीगी जमात और मरकज़ पर मढ़ रहे थे.
तब केजरीवाल हर दिन एक प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे और मरकज़ से निकले कोरोना के मरीजों का आंकड़ा बता रहे थे. केजरीवाल के इस बर्ताव से पूरे देश में तबलीगी जमात के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की बदनामी हुई. कई अदालतों ने भी इस पर गहरा रोष प्रकट किया.
दिल्ली में कोरोना का मामला अब तेज़ी से बढ़ने लगा है. रिपोर्ट्स के अनुसार सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों की हालत अत्यंत दयनीय है. कहीं आईसीयू में लोगों को जगह नहीं मिल रही है.
पिछले 24 घंटे में दिल्ली (Delhi) कोरोना के 7,802 नए मामले आने के बाद में महामारी से पीड़ित हुए लोगों की संख्या 5 लाख का आंकड़े छूने को है. वहीं, 91 और लोगों की मौत होने के साथ ही कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 7,423 हो गई है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, कल की गई 56,553 नमूनों की जांच में से संक्रमण के ये नए मामले आए हैं.
लगातार कोरोना मामले के सामने आने के बाद केजरीवाल अब इसका दोष प्रदूषण पर मढ़ रहे हैं. शनिवार दोपहर को एक प्रेस कॉन्फ्रें स में उनहोंने कहा कि, “दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के पीछे सबसे बड़ा कारण प्रदूषण है। यहां 20 अक्टूबर तक स्थिति नियंत्रण में थी।” वह ऐसा इसलिए कह रहे हैं ताकि दोष सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब की सरकार पर लगे कि उनकी राज्यों में पराली जलाने के कारण कोरोना फैल रहा है.
इस पर भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने ट्वीटर पर तंज़ कसा. गंभीर ने लिखा कि “मुख्यमंत्री का संदेश- दूसरे राज्यों की वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रदूषण की वजह से कोरोना बढ़ रहा है। सब अपने आप ठीक हो जायेगा। तब तक सभी मुझे TV पर दिवाली पूजन करते देखें!”
मुख्यमंत्री का सन्देश –
दुसरे राज्यों की वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है
प्रदूषण की वजह से कोरोना बढ़ रहा हैसब अपने आप ठीक हो जायेगा। तब तक सभी मुझे TV पर दिवाली पूजन करते देखें!
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) November 13, 2020
केजरीवाल सरकार के इस रवैये को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने भी कड़ी फटकार लगाई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के 33 प्राइवेट अस्पतालों के 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना वायरस मरीजों के लिए रिजर्व करने का आदेश दिया है.
दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कोरोना संक्रमण के रोगियों के लिए निजी अस्पतालों के 80 फीसदी आईसीयू (ICU) बेड आरक्षित करने के दिल्ली सरकार के निर्णय पर अंतरिम रोक के एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश को हटा दिया है.
यही नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल सरकार को फटकार लगाते हुए उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए. हाल में सीरो सर्वे रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा है कि रिपोर्ट देखने से लगता है कि दिल्ली में हर चार में से एक शख्स कोरोना से संक्रमित है और हर घर में कोई न कोई कोरोना महामारी की चपेट में आ चुका है. दिल्ली में कोरोना ने इतना भयानक रूप ले लिया है इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने अभी तक कोई उचित कदम क्यों नहीं उठाया है. कोरोना पर दी गई ढील पर अब तक रोक क्यों नहीं लगाई गई है.
सवाल यह उठता है कि केजरीवाल भी मोदी सरकार की तरह ही झूठ और टीवी पर प्रचार तंत्र से कब तक यथास्थिति को छिपाते रहेंगे. शायद दिल्ली सरकार के फटकार कुछ असर करे.
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