
जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व कुलपति और जाने-माने इतिहासकार मुशीरुल हसन का सोमवार सुबह निधन हो गया। 70 साल के उम्र और चार वर्ष पहले हुए एक सड़क हादसे के बाद सेहत संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे।
पूर्व सचिव जफर नवाज हाशमी ने बताया कि किडनी संबंधी समस्याओं के कारण उनका डायलिसिस किया जा रहा था। उन्होंने बताया, सेहत संबंधी कुछ जटिलताओं की वजह से उन्हें आधी रात को अस्पताल ले जाया गया जहां आज सुबह उनका निधन हो गया।
विश्वविद्यालय परिसर में कुलपतियों के लिए बनाए गए कब्रिस्तान में शाम को उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया।
हसन वर्ष 2004 से 2009 तक जामिया विवि के कुलपति रहे थे। वह काफी दिन से बीमार चल रहे थे और वर्ष 2014 में एक दुर्घटना के कारण अस्वस्थ होने के बाद वह पूरी तरह ठीक नही हो पाए। विभाजन तथा दक्षिण एशिया में इस्लाम के इतिहास को लेकर किए गए उनके काम के लिए जाना जाता है।
इतना ही नहीं मुशीरुल हसन को पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाज़ा गया है। भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के उपाध्यक्ष तथा इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे थे।
जामिया के कार्यवाहक कुलपति शाहिद अशरफ ने कहा, प्रोफेसर हसन काफी प्रेरणादायक कुलपति थे और वह विश्वविद्यालय के आधारभूत ढांचे के निर्माण के साथ ही संकाय सदस्यों की शोध क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते थे।
माकपा महासचिव सीताराम एचुरी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनके निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया, मशहूर शिक्षाविद और लेखक मुशीरुल हसन जी के निधन के बारे में जानकर दुखी हूं। जामिया मिलिया इस्लामिया के बारे में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।