
अपराध के दर्जनों मामले और सीमा सुरक्षा बल (इंडो-नेपाल बॉर्डर) की रिपोर्ट के अनुसार गांजा और चरस के स्मगलर रहे भाजपा के वरीय नेता, वाल्मीकि नगर के पूर्व सांसद और चनपटिया से विधायक रहे सतीश चंद्र दुबे बुधवार को भाजपा के टिकट पर विधिवत रूप से राज्यसभा के सांसद बन गये. वे निर्विरोध चुने गए. उनके सामने किसी अन्य पार्टी का कोई भी उम्मीदवार नहीं खड़ा हुआ.
सतीश चन्द्र दुबे पर दो दर्जन तक संगीन आपराधिक मामले लंबित हैं. सीमा सुरक्षा बल (इंडो-नेपाल बॉर्डर) की 2008 की रिपोर्ट के अनुसार वह गांजा-चरस की स्मगलिंग में भी लिप्त रहे हैं.

एसएसबी की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर सतीश दुबे पूरे पश्चिम चंपारण में गांजा और चरस जैसी जानलेवा ड्रग्स की स्मगलिंग के लिए एक सिंडिकेट को चला रहे थे. इस रिपोर्ट में साफ साफ़ लिखा है कि इस सिंडिकेट में हत्या, अपहरण और डकैती से जुड़े अपराधी भी मौजूद हैं. रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर इनकी नजदीकी से निगरानी की गयी तो देश विरोधी गतिविधियों में इनकी संलिप्तता उजागर हो सकती है.

इस रिपोर्ट पर बाद में क्या किया गया इसकी हमारे पास कोई जानकारी नहीं है लेकिन इन्होंने अपने शपथ पत्र में जिन अपराधों का उल्लेख किया है उनमें डकैती, अपहरण और हत्या के मामले शामिल हैं.

प्रश्न यह उठता है कि भाजपा जैसी पार्टी जो आरएसएस जैसी देश भक्त संगठन की पोलिटिकल विंग कही जाती और जो भ्रष्टाचार के विरोध में होने का दावा करती रही है वह इतने संगीन अपराधियों को संसद में क्यों ला रही है?

एसोसिएशन ऑफ़ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सभा और लोक सभा में भाजपा के 130 से ज़्यादा ऐसे सांसद हैं जिन पर इसी तरह के संगीन आरोप हैं.
सतीश चन्द्र दुबे 10वीं पास हैं और जब एसएसबी की रिपोर्ट आई थी तब वह चनपटिया के विधायक थे.

गौरतलब है कि वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में सतीश चंद्र दुबे भाजपा के टिकट पर वाल्मिकीनगर से जीते थे. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में यह सीट जनता दल यू के कोटे में चली गई थी. टिकट से वंचित होने से सतीश चंद्र दुबे काफी नाराज थे. बाद में उन्हें पार्टी स्तर पर मनाया गया था. इसके बाद उनहोंने चुनाव में एनडीए की ओर से प्रचार भी किया था. बाद में राज्यसभा की यह सीट उन्हें दी गई. एनडीए की ओर से उम्मीदवार बने और बुधवार को नाम वापसी का समय खत्म होने के बाद वे विधिवत राज्यसभा के सांसद बन गए.