सामान्य श्रेणी के गरीबों को आरक्षण का और नागरिकता (संशोधन) बिल लोकसभा से पास




(प्रतीकात्मक छवि)

लोकसभा ने आज दो महत्वपूर्ण बिल को पास कर दिया. तीन राज्यों में भारी हार के बाद मोदी सरकार द्वारा सवर्णों को लुभाने वाले 10% आरक्षण के बिल को भारी मतों से पास कर दिया गया. इसके लिए सरकार ने आज लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पेश किया और उसे पास भी कर लिया. बिल के समर्थन में 323 वोट और विरोध में महज 3 वोट पड़े. राज्यसभा में बुधवार को इस बिल को पेश किया जाएगा.



ज्ञात रहे कि यह आरक्षण का कोटा केवल सवर्ण हिन्दुओं के लिए नहीं बल्कि सामान्य श्रेणी के सभी भारत के नागरिकों के लिए है जिसमें मुस्लिम अशराफ और इसाई भी शामिल हैं. इसका लाभ लेने के लिए परिवार का आय 8 लाख से कम होना चाहिए.

आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने कहा कि ये चुनावी स्टंट है. अगर गरीबी का ख्याल होता तो ये बिल पहले सेशन में लाया जाता.

असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान और बाबा साहब का अपमान बताया. पूछा की क्या कभी हिन्दू सवर्ण भी छूआछुत के शिकार हुए हैं.

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि सरकार को हमेशा दलित विरोधी कहा जाता था, लेकिन सरकार ने SC/ST ऐक्ट में सुधार करके लोगों को मजबूत किया. उन्होंने कहा कि मैं आरक्षण के समर्थन में हूं, लेकिन निजी क्षेत्र और न्यायपालिका में भी मिले आरक्षण.

इसके साथ ही केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी नागरिकता (संशोधन) बिल पेश किया और वह भी लोक सभा से पास हो गया. इस बिल के अंतर्गत भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आए हिन्दुओं को नागरिकता देगा जो दिसम्बर 31, 2014 से पहले से भारत में रह रहे हैं. इसका विरोध करते हुए कल असम गण परिषद ने खुद को एनडीए से अलग कर कर लिया था. असं गण परिषद का कहना था कि यह भारत की धर्म निरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है.

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