जर्मन चश्मे से नहीं दिखेगा भारत का ग्रहण




-समीर भारती

हमारे प्रधानसेवक माननीय नरेंद मोदी (बड़ी आबादी के लिए अमाननीय) जो हमारे प्रथम सेवक माननीय जवाहरलाल नेहरु (कुछ के लिए अमाननीय) से चुराया गया है खुद को जनता से फ़कीर, झोलाछाप, संत, और पता नहीं क्या क्या कहलवाना चाहते हैं बड़े दुखी हुए जब उन्हें जर्मनी में बने डेढ़ लाख के चश्मे से भी भारत का सूर्य ग्रहण नहीं दिखा.

जर्मन चश्मे के साथ उनके पोज को ट्विटर पर दो तरह से सम्मान मिला. कोई उन्हें #CoolestPM और कोई उन्हें #BrandedFakeer कह रहा था. हालांकि इस कड़ाके के जाड़े में #CoolestPM की जगह #HottestPM ट्रेंड होना चाहिए था. मुझे लगता है भाजपा आईटी सेल इस बार शब्द के चयन में चूक गयी. इस पोज को देखकर हर भारतीय फ़कीर की उम्मीद जग गयी. लेकिन मेरा विवाद आपके महंगे चश्मे पर नहीं है. आप प्रधानमंत्री हैं. आज कल तो बिज़नस इतना मुनाफा दे रहा है कि जय शाह ने कुछ महीने में सैकड़ो गुना मुनाफा कम लिया. आप का क्या कहना? आपने तो जय शाह को ही कहा होगा तो वह चश्मा दौड़ कर आपके लिए ले आया होगा. आखिर आपके सिपाहसालार अमित शाह का होनहार बच्चा है वह. मुझे तो अचरज है कि आपने अपने देश के ग्रहण को देखने के लिए जर्मन चश्मा ही क्यों चुना.

महोदय, जर्मनी के चश्मे से देश का ग्रहण नहीं दीखता शायद आपको कोई बता पाता!

अगर आप भारतीय चश्मा पहनते तो आपको दीखता प्याज के लिए तरसती गरीबों की रोटियां, डॉलर के मुकाबले रूपए के गरीब होने का दर्द, गरीब की मोटर साइकिल में बूँद बूँद टपकता पेट्रोल, उज्ज्वला योजना के खाली सिलिंडर को फिर से उसमें गैस भरने की आस, आयुष्मान भारत के बावजूद गरीबों का न होता इलाज, उत्तर प्रदेश और दिल्ली पुलिस की बर्बरता, जामिया और अलीगढ़ विश्व विद्यालय में सिसकती मासूम जिंदगियां और लुढ़कती अर्थव्यवस्था. यह सब जर्मन चश्मे से आपको कहाँ दिखने वाली!

जर्मन चश्मे से आप को दिखेगी कंसंट्रेशन कैंप, हिटलर का यहूदियों पर अत्याचार, उसका एक ख़ास वंश के लिए सब कुछ गलत कर गुज़र जाने की लालसा, जर्मन चश्मे से आपको दिखेगी यहूदियों की सिसकियों के बीच भक्तों का अट्टहास, कंसंट्रेशन कैंप जाते यहूदियों को देख कर ताली लगाती नाज़ी जनता और हिटलर का आपसे भी दुगुना 112 इंच का सीना.

जर्मन चश्मे से आपको जर्मनी की बर्बादी नहीं दिखेगी. जर्मन चश्मे से आपको मानवीय संवेदना नहीं दिखेगी. जर्मन चश्मे से आपको भारत की बहुलतावादी संस्कृति नहीं दिखेगी. जर्मन चश्मे से आपको जंतर मंतर की भीड़ नहीं दिखेगी. जर्मन चश्मे से पंडित जी और मौलवी साहब की एकजुटता आपको नहीं दिखेगी. जर्मन चश्मे से आपको छात्रों का आक्रोश नहीं दिखेगा. जर्मन चश्मे से आपको भारत का कोई ग्रहण नहीं दिखेगा.

आप बड़े आदमी हैं. आपको विदेशी वस्तुओं और विदेशी जमीन से ज़्यादा लगाव है. आप पूरी दुनिया घूम घूम कर देख चुके हैं. ऐसा लगता है कि आपका प्रधानमंत्री बनने का सपना कम, दुनिया घूमने का सपना ज़्यादा था. आपने प्रधान मंत्री रहते हुए इन 6 सालों में विदेश मंत्री का बहुत अच्छा काम किया है. आपने प्रोटोकॉल तोड़ तोड़ कर जो पड़ोसियों से रिश्ते निभाए हैं वह अद्भुत है. आप ने चीन के साथ जो अपनापन दिखाया उसका असर यह हुआ कि चीनी फ़ौज अरुणाचल प्रदेश को अपना घर ही समझने लगी. यह मैं नहीं कह रहा हूँ यह अरुणाचल के आप ही के एक आदमी ने सदन को अभी कुछ दिनों पहले बताया.

खैर, आपने अमेरिका में Howdy Modi कार्यक्रम में वहां रह रही माइनॉरिटी की खुशहाली देखा. आपने अमेरिका के बिना नारा दिए हुए वहां सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास को ज़मीन पर देखा. आप संयुक्त अरब अमीरात भी गए. वहां आपने कौन सा भोजन किया यह मेनू मीडिया को बताना चाहिए था लेकिन वह बता नहीं पाई लेकिन आपने जो भी खाया होगा वह सात्विक और मांस रहित ही रहा होगा. हो सकता है कि वहां के शाह (अमित शाह नहीं) ने आपके लिए हिन्दू बावर्ची का इंतजाम भी किया होगा. वहां भी भारतियों की खुशहाली देख कर गद गद हुए होंगे. वहां की माइनॉरिटी जिनमें सब धर्म के होंगे ने आपके आने पर गर्व महसूस किया होगा.

आप जैसे गरीब चायवाले परिवार से आए फ़कीर प्रधान सेवक की 10 लाख वाली सूट, हिमालय के मशरूम और काजू के आंटे की चर्चा तो हमने सुनी थी. जर्मन चश्मा आपने लगता है इस कार्यकाल में ख़रीदा होगा. या फिर किसी ने गिफ्ट किया होगा जैसा कि ऊपर मैंने उल्लेख किया कि इन दिनों कुछ लोगों के व्यापार सौ सौ गुना लाभ दे रहे हैं. क्योंकि आप तो अपनी सैलरी का इस्तेमाल जन कल्याण में कर देते हैं. आपके पास तो पैसे ही नहीं रहते. आपकी माँ भी आपको अब तक चवन्नी ही देती हैं.

ईश्वर से मेरी प्रार्थना है भारत के तमाम फकीरों, गरीबो और चाय वालों की दशा आपकी ही तरह बदल जाए. वह भी आप ही जैसे सुबह, शाम नए नए कपडे पहनें. उन्हें भी कभी सोने से जड़ा हुआ सूट कोई गिफ्ट करे. वह भले ही डेढ़ लाख वाला चश्मा न पहन सकें उस दुकान में जा सकें जहाँ यह बिकता है.

ऐसे अगर आप सीरियस हैं तो एक बात बताऊँ आप शुद्ध देशी चश्मा ‘लेंस्कार्ट’ पहन कर एक बार देखिए. सूर्य ग्रहण क्या देश के सारे ग्रहण आपको दिखेंगे.

ऐसे 26 जनवरी वाला भाषण तो तैयार हो रहा होगा. इस बार टोपी पहन लीजिए. कुछ मुल्ला जी एक दम से खुश होकर कहने लगेंगे कि CAA और NRC तो कुछ है ही नहीं. यह मोदी सरकार का भारतीय मुसलामानों को पक्की नागरिकता देने का ऐतिहासिक कदम है.

ऐसे आपको अब इतिहास कहाँ भूलने वाला है!

(डिस्क्लेमर” यह व्यंग मात्र है और मनोरंजन के लिए है. इसे सच समझते हैं तो आप CAA और NRC का विरोध करें. ये समीर भारत के अपने मत हैं और इनका संबंध योगी के जंगलराज उत्तर प्रदेश से है.)

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