इलाज के अभाव में पटना एम्स में लड़की की मौत, राजद ने की जांच की मांग




पटना एम्स से इलाज न होने के कारण मृत बच्ची को ढोकर ले जाते हुए उसके पिता

पटना, 18 अक्टूबर । पटना एम्स में एक 9 वर्षीय लड़की की मृत्यु हो गई। गरीब पिता ने अपनी बेटी के इलाज की तमाम औपचारिकताएं जब पूरी कर ली इसके बावजूद काउंटर पर तैनात कर्मचारी ने उनकी मदद करने से मना कर दिया। इसको लेकर विपक्षी आरजेडी ने बुधवार को उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।



मंगलवार को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के आउटडोअर पेशेंट डिपार्टमेंट की खानापूर्ति करते करते छह दिनों से बुखार से पीड़ित रौशन कुमारी का निधन हो गया।

रौशन को पिता रामबालक और माँ ने लखिसराई जिले के काजरा गांव से पटना एम्स लाया था, जिसके बाद उन्हें ओपीडी काउंटर पर एक पंजीकरण कार्ड बनाने के लिए कर्मचारियों द्वारा निर्देश दिया गया।

मज़दूर रामबालक, काउंटर पर कतार में खड़े रहे और उनकी पत्नी उन्हें बेटी की बिगड़ती हालत के बारे में बताती रहीं लेकिन लंबी कतार में खड़े लोगों ने रामबालक के अनुरोध को नहीं सुना और उन्हें पहले पर्ची कटवाने का मौक़ा नहीं दिया ताकि उनकी औपचारिकताएं पूरी हो सकें। उन्होंने काउंटर पर तैनात क्लर्क के साथ भी अनुरोध किया, लेकिन उन्हें कतार में आने के लिए कहा गया।

सफाई की निजी एजेंसी के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “रामबालक जब तक पंजीकरण करवाता, उनकी बेटी की मृत्यु हो चुकी थी”।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बेटी की लाश को ढोने के लिए एम्स अधिकारियों द्वारा एम्बुलेंस भी प्रदान नहीं किया गया और उस व्यक्ति फुलवारी शरीफ ऑटो-रिक्शा स्टैंड तक लगभग चार किलोमीटर अपनी मृत बेटी को कंधे पर ही ढो कर लाया।

एम्स के निदेशक डॉ प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि उनके पास कोई जानकारी नहीं है कि इलाज के अभाव के कारण गंभीर रोगी की मृत्यु हो गई है।

“जहां तक ​​’पर्चा’ का सवाल है, डॉक्टर इसके बिना गंभीर रोगियों का इलाज करते हैं और बाद में उनका पंजीकरण किया जाता है। अगर ऐसा है, तो मैं इस मामले की जांच करूंगा,” उन्होंने कहा।

दिलचस्प यह है कि, पटना एम्स में आपातकालीन वार्ड नहीं है।

राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार सरकार को गरीबों के प्रति “उदासीनता” को लेकर फटकार लगाई, उनहोंने मांग किया है कि लड़की की मौत की उच्च स्तरीय जांच हो।

उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे पर भी तंज़ किया, जिन्होंने पिछले हफ्ते कहा था कि बिहार के रोगियों का उपचार दिल्ली एम्स के बजाए पटना के एम्स में ही किया जाना चाहिए।

चौबे के बिहारियों द्वारा दिल्ली एम्स में भीड़ लगाने के बयान पर विपक्षी दलों ने आलोचना की थी।

लालू प्रसाद ने कहा: “मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके डिप्टी सुशील कुमार मोदी को असल स्वास्थ्य मुद्दों के लिए कोई समय नहीं है। दोनों ही मीडिया में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के तर्ज पर अपना चेहरे बस दिखा रहे हैं।”

“झारखंड में ‘भात’ की कमी से और बिहार में इलाज की कमी से लड़कियां मर रही हैं।“ आरजेडी ने झारखंड के सिमडेगा जिले में भुखमरी के चलते 11 वर्षीय संतोषी कुमारी की मौत का संदर्भ देते हुए उक्त बात कही।

इसे अंग्रेज़ी में पढ़ें: Girl dies at Patna AIIMS for lack of treatment, RJD demands probe

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