गूगल डूडल ने याद किया उपान्यासकार कमला दास/कमला सुरैया को




नई दिल्ली, 01 फ़रवरी, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क) गूगल ने अपने डूडल के माध्यम से मलयालम साहित्यकार को आज उनके जन्मदिन पर याद किया. वे मलयालम भाषा में माधवी कुटटी के नाम से लिखती थीं। उन्हें उनकी आत्मकथा ‘माई स्टोरी’से अत्यधिक प्रसिद्धि मिली।



उन्हें वर्ष 1984 में ‘नोबेल पुरस्कार’ के लिए नामांकित किया गया था। इसके अतिरिक्त उन्हें अवार्ड ऑफ एशियन पेन एंथोलोजी (1964), ‘केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार’ 1969 (‘कोल्ड’ के लिए), ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ (1985), ‘एशियन पोएट्री पुरस्कार'(1998), ‘केन्ट पुरस्कार’ (1999), ‘एशियन वर्ल्डस पुरस्कार’ (2000), ‘वयलॉर पुरस्कार’ (2001), कालीकट विश्वविद्यालय द्वारा ‘डी. लिट’ की मानद उपाधि (2006), ‘मुट्टाथु वरक़े अवार्ड’ (2006), ‘एज्हुथाचन पुरस्कार’ (2009) इत्यादि से नवाज़ा गया।

कमला का जन्म 31 मार्च 1934 को केरल के त्रिचूर जिले के पुन्नायुर्कुलम, (पूर्व में मालाबार जिला, मद्रास प्रैज़िडन्सी, ब्रिटिश राज) में वी एम नायर के यहाँ हुआ. उनके पिता पत्रकार और कवि थे. कमला की शादी मात्र 15 वर्ष की आयु में हो गयी थी।

उन्होंने 65 साल की उम्र में 11 दिसंबर 1999 को इस्लाम क़बूल कर लिया और फिर अपना नाम कमला सुरैया ग्रहण किया।

विकिपीडिया के अनुसार, उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था, “मैं हिंदू तरीके से मृतकों को जलाने के संस्कार के खिलाफ हूं। मैं नहीं चाहती कि मेरा शरीर जलाया जाए, लेकिन यह केवल एक मामूली विचार था। मुझे हमेशा से इस्लामिक जीवन पद्धति के प्रति स्नेह रहता था। मैं ने दो अंधे मुस्लिम बच्चों, इर्शाद अहमद और इम्तियाज अहमद को गोद लिया और उन्होंने मुझे इस्लाम के करीब लाया। मुझे उन्हें पढ़ाने के लिए इस्लामी शास्त्रों का अध्ययन करना पड़ा।”

उनकी मृत्यु पुणे में दिनांक 31 मई 2009 को 75 वर्ष की उम्र में हुई। उन्हें पलायम जामा मस्जिद के कब्रिस्तान में दफ़न किया गया।

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