
तमिलनाडु की जनहित मुफ्त सरकारी योजनाओं को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि मुफ्त चावल देने की योजना और अन्य सरकारी सेवाओं ने तमिलनाडु के लोगों को आलसी बना दिया है. जिसका नतीजा है कि हमें काम करने के लिए उत्तर भारतीय राज्यों से लोगों को बुलाना पड़ रहा है.
जस्टिस एन किरूबाकरण और जस्टिस अब्दुल कुद्दूस की पीठ ने कहा कि हम मुफ्त चावल बांटने की योजना के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसे केवल जरूरतमंदों और गरीबों के लिए सीमित करना जरूरी है.
दरअसल पीठ ने गुरुवार को पीडीएस के चावल की तस्करी कर उसे बेचने के आरोप में गुंडा कानून के तहत गिरफ्तार एक व्यक्ति द्वारा इसे चुनौती दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ को बताया था कि आर्थिक हैसियत का खयाल किए बगैर सभी राशनकार्ड धारकों को मुफ्त में चावल दिया जाता है.
हालांकि इसके बाद पीठ ने कहा कि पहले सरकारों ने राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह का लाभ सभी तबकों को दिया. परिणामस्वरूप, लोगों ने सरकार से सब कुछ मुफ्त में पाने की उम्मीद करनी शुरू कर दी. नतीजतन वे आलसी हो गए हैं और छोटे-छोटे काम के लिए भी प्रवासी मजदूरों की मदद ली जाने लगी है.