
बिहार के तीन बार से रहे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्रा का देहांत दिल्ली में सोमवर को हो गया. देहांत के समय वह बीमार थे और चारा घोटाला के तीन मामलों में सजायाफ्ता थे. उन्हें स्वास्थ्य आधार पर जमानत मिला हुआ था हालांकि बीमारी की अवस्था में ही उनहोंने अपनी एक पुस्तक का विमोचन राज्य के उप-मुख्य मंत्री और पूर्व राष्ट्रपति के हाथों करवाया था. उन पर न्यायालय ने 2 लाख का जुरमाना भी लगाया था.
इन सबके बावजूद नीतीश और सुशील मोदी की सरकार ने उनका राजकीय सम्मान के साथ दाह-संस्कार करने और तीन दिन तक राजकीय शोक की घोषणा की थी. इसकी लोगों ने निंदा भी की थी. राजद के वरिष्ठ नेता शिवानन्द तिवारी ने कहा था कि किसी अपराधी को राजकीय सम्मान देना बिहार की एनडीए सरकार के भ्रष्टाचार पोषण के चेहरे को उजागर करती है. उनहोंने कहा कि नीतीश कुमार का सुशासन का चेहरा भी इससे बेनकाब हुआ है.
इन सबके बावजूद नीतीश सरकार पर कोई असर नहीं हुआ. पूरे राजकीय सम्मान से चारा घोटाला के सज़ायाफ्ता मुजरिम का दाह संस्कार राजकीय सम्मान से उनके पैतृक गाँव में किया गया.
लेकिन यह राजकीय सम्मान तब मज़ाक बन गया जब दाह संस्कार के दौरान दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर के दौरान 21 बंदूकों में से किसी भी बन्दूक से गोली नहीं चली. जब पहली बार गोली नहीं चली तो जवानों ने अपनी बंदूकों और गोलियां की जांच की. वहां मौजूद अधिकारियों ने भी इन्हें जांचा. जवानों ने जब दोबारा फायर किया तो भी गोली नहीं चली. इसके बाद बिना फायर किए ही मिश्रा का अंतिम संस्कार हो गया.
इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप-मुख्य मंत्री सुशील मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय और विधान सभा के स्पीकर विजय चौधरी भी मौजूद थे.

इससे न केवल बिहार सरकार की राजकीय सम्मान के दौरान की लापरवाही उजागर हुई है बल्कि पूरे पुलिसिया व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा है. यह अनुमान लगाना बहुत ही आसान है कि अगर यह मामला सलामी का नहीं होता और किसी मुठभेड़ का होता तो उन 21 बंदूकधारियों का क्या होता?
बीबीसी हिंदी ने उस समय की वीडियो जारी की है जिसमें देखा जा सकता है कि नीतीश कुमर की मौजूदगी में किस तरह पुलिस वाले सलामी दे रहे हैं और उनकी एक भी बन्दूक से गोली नहीं निकली.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र के सम्मान में 21 बंदूकों की सलामी दी जा रही थी, लेकिन एक भी बंदूक नहीं चल सकी.
वीडियोः नीरज सहाय/ सुभाष चंद्र pic.twitter.com/UQTqvWp3lB— BBC News Hindi (@BBCHindi) August 21, 2019