
-समीर भारती
आंकड़ों के मुताबिक, मोदी शासन के दौरान भारत में हर 15 मिनट में किसी न किसी दलित के साथ कोई न कोई आपराधिक घटना घटती है. भाजपा या भाजपा गठबंधन जिन जिन राज्यों में है वहां दलितों पर शोषण के मामले अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनते ही दलितों के विरुद्ध मामलों में बढ़ोतरी आई. ज़मीनी सच्चाई को बदले बिना साफ़ सुथरे सफ़ाई कमर्चारियों का पैर धोना जनता को धोखा देने के अलावा कुछ नहीं
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी साढ़े चार सालों में मीडिया में प्रधान मंत्री होने की वजह के अलावा और कई चीज़ों के लिए चर्चित रहे. प्रधान मंत्री के तौर पर वह अपने मन की बात के लिए तो हमेशा चर्चा में रहते ही हैं इसके अलावा कई कारनामे ऐसे हैं जिनके कारण भी वह चर्चा में रहते हैं. इन चर्चा के कारणों पर विश्लेषण से लगता है कि यह उनकी या उनकी पार्टी की योजना का हिस्सा हो. कभी गलत आंकड़े पेश कर देना, कभी माँ को नोटबंदी के दौरान 2 हज़ार रूपए के एक नोट के लिए लाइन में खड़े करवा देना, कभी प्रोटोकॉल तोड़ कर पाकिस्तान पहुँच जाना. कभी ज़बरदस्ती लोगों से गले मिलना और हाथ मिलाना. उनके ऐसे कामों के लिए कई बार आलोचना की गयी. हालांकि इस रणनीति के जानकार कहते हैं कि यह सब वह अपनी पब्लिसिटी के लिए जान बूझ कर करते है जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और होती है. कई बार ऐसा महत्वपूर्ण मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए भी होता है.
सफ़ाई कर्मी का पैर धोना पुलवामा हमले के दिन के शूट से हुई फजीहत से छुटकारा पाना?
पुलवामा आतंकी हमले में 40 से अधिक सीआरपीएफ़ के जवान मारे गए थे. पूरा देश आतंकियों को सबक सिखाना चाहता था और पाकिस्तान से बदला चाहता था. सभी विपक्षी पार्टियों ने भी सत्तारूढ़ दल के साथ एकता दिखाते हुए सेना का मनोबल बढ़ाया और कई दिनों तक सत्ता से सवाल तक नहीं पूछा. जैसे ही पता चला कि पुलवामा की घटना का पता लगने के बाद भी प्रधान मंत्री मोदी ने जिम कॉर्बेट पार्क में अपने ऊपर बन रहे एक डाक्यूमेंट्री की फोटो शूट जारी रखा तब विपक्ष ने हमला तेज़ कर दिया. ऐसा लगता है कि प्रधान मंत्री का सफ़ाईकर्मी का पैर धोना इसी मुद्दे को भटकाने की कोशिश है जिसमें वह जनता के गुस्से का शिकार हो रहे थे.
पब्लिसिटी स्टंट और ज़मीनी हकीकत
आम चुनाव से 3 महीने पहले प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में प्रधानमंत्री मोदी ने सूट बूट के साथ गंगा स्नान किया और पांच पहले से साफ़ सुथरे, सजे धजे सफाईकर्मियों का पैर धो कर भाजपा के कार्यकर्ताओं को खुश भले ही कर दिया हो लेकिन ट्विटर पर और ट्विटर के बाहर भी लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं.
एक ने कहा कि अगर नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में काम किया होता तो उन्हें चुनाव से 3 महीने पहले यह सब नहीं करना होता. उनहोंने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने अगर दलितों के लिए काम किया होता तो उन्हें उनके पैर धो कर महान बनने का दिखावा नहीं करना पड़ता.
एक यूजर ने कहा कि अगर सफाईकर्मी से इतना ही प्यार है तो उनकी नियुक्तियां पक्की करें, उन्हें गटर में घुसाने के बजाय उन्हें प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराएं. ज्ञात रहे कि एक आंकड़े के अनुसार, प्रत्येक दिन सफाईकर्मी की कई मौतें गटर में उतरने के कारण होती है.
द वायर में एक रिपोर्ट छपी थी. यह रिपोर्ट पिछले वर्ष अगस्त में आरटीआई में मिली सूचना के आधार पर लिखी गयी थी. रिपोर्ट में लिखा था कि आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए कोई राशि जारी नहीं की गई. इससे पहले आखिरी बार 2013-14 यानी यूपीए कार्यकाल में जारी 55 करोड़ रुपये में से 24 करोड़ रुपये अभी तक खर्च नहीं हुए हैं.
मई 2018 में इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट ने बताया था कि जहाँ जहाँ भाजपा या भाजपा गठबंधन वाली सरकार मौजूद है वहां दलितों के खिलाफ उत्पीडन के मामले सबसे ज्यादा रहे. ज्ञात रहे कि ज़्यादातर सफ़ाईकर्मी अनुसूचित जाति से आते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, दलितों के विरूद्ध अपराधों के कुल 27,070 मामले थे जो 2011 में बढ़कर 33,719 हो गए. साल 2014 में अनुसूचित जाति के साथ अपराधों के 40,401 मामले, 2015 में 38670 मामले व 2016 में 40,801 मामले दर्ज किए गए. आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान भारत में हर 15 मिनट में किसी न किसी दलित के साथ कोई न कोई आपराधिक घटना घटी.
NCRB के आंकड़ों से जो चौंकाने वाली बात निकलकर आई है, वह ये कि बीते चार वर्षों के दौरान देश के जिन राज्यों में दलितों का सर्वाधिक उत्पीड़न हुआ, उन राज्यों में या तो BJP की सरकार है या BJP के गठबंधन वाली सरकार. बात करें दलित उत्पीड़न में सबसे आगे रहे राज्यों की तो मध्य प्रदेश दलित उत्पीड़न में सबसे आगे रहा. 2014 में MP में दलित उत्पीड़न के 3,294 मामले दर्ज हुए, जिनकी संख्या 2015 में बढ़कर 3,546 व 2016 में 4,922 तक जा पहुंची. देश में दलितों पर हुए आपराधिक मामलों में से 12.1 फीसदी मामले अकेले MP में घटे. ज्ञात रहे कि पिछले वर्ष दिसम्बर में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है.
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में 2014 में दलित उत्पीड़न के 1,094 मामले, 2015 में 1,010 मामले व 2016 में 1,322 मामले दर्ज किए गए. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में अनुसूचित जाति पर हमलों का राष्ट्रीय औसत जहां 20.4 प्रतिशत था वहीं गुजरात का भाग 32.5 प्रतिशत रहा.
योगी शासन में 2016 में UP दलित उत्पीड़न के मामले में देशभर में सबसे ऊपर रहा. साल 2016 में अनुसूचित जाति पर 10,426 हमले यहाँ हुए. यहां दलित स्त्रियों के साथ बलात्कार के 1065 मामले दर्ज हुए, जिसमें से अकेले लखनऊ में 88 घटनाएं घटी हैं. उसमें भी 43 घटनाएं स्त्रियों से दुष्कर्म की रहीं.
दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने अपने ट्वीट में कहा कि गुजरात में भाजपा जब से सत्ता में आई तब से दलितों पर अत्याचार के वारदातें बढ़ी हैं. अकेले अहमदाबाद में केवल 2018 में 140 मामले दलितों के वारदात से जुड़े हैं. उनहोंने प्रधानमंत्री को कहा कि वह जुमलेबाजी और दलितों पर कृपा दिखाना बंद करें.
Atrocities against Dalits in Gujarat are rising since the BJP government came to power. Ahmedabad city itself noted 140 cases of atrocities in 2018. Stop your jumlabaazi and patronisation of Dalits @narendramodi https://t.co/oc1kcEOBCT
— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) February 25, 2019
अन्य यूजरों ने भी मोदी के इस काम को स्टंट बताया है.
चुनावी साल में चरणों में पड़े pic.twitter.com/IKBLe4n7fH
— Simmi Ahuja (@SimmiAhuja_) February 24, 2019
मोदी जी उन माताओं के पांव धोने थे
जिनके बेटे देश के लिए शहीद हो गए।लेकिन शहीदों की शहादत पर तो
14 फरवरी से वोट मांग रहे ही हैअब सफाई कर्मचारियों के नाम पर
भी वोट मांगना शुरू कर दीजिए
क्योंकि गंगा में पहले से ही नहाए धोए
लोगों के पैरो पर पानी डाल कर
महान कार्य किया है 😡😡— 🇮🇳हरियाणवी🇮🇳 (@anita_SinghHR8) February 24, 2019
एक यूजर ने एक वीडियो शेयर की जिसमें अधिकारी सफ़ाईकर्मियों को धमका रहे हैं. उनकी कुछ मांगे हैं. इस यूजर ने लिखा कि ये भी सफ़ाईकर्मी हैं. इन्हें मेला अधिकारी धमका रहा है. उम्मीद है आपने इनकी मांगें पूरी की होगी.
Modi Ji, They all are Sanitation workers from Kumbh.
Mela Adhikari is threatening them. Hope, you paid heed to their demands. pic.twitter.com/4xLJZi1rWi— Mohit (@MohitKPandey) February 24, 2019
कुम्भ में सफाई करने वाली एक महिला की
शिकायत है कि उसके एक #पैर_की_पाजेब गायब है
और तुम तो सब जानते हो #चौकीदार_ही_चोर_हैं
😂 #जी___हा 😂
— चौधरी साहब (@_KHAN_BOY) February 24, 2019
एक यूजर ने लिखा कि ये सब नाटक इसलिए क्योंकि चुनाव नज़दीक है. अभी और कहानियां होंगी, देखते रहें.
All dramas will happen since election is very near , many more fiction would happen , stay tuned guys
— Pranesh S (@PraneshS13) February 24, 2019
एक यूजर ने लिखा कि नौटंकी… वह 4.5 वर्ष कहाँ थे? चुनाव का समय आ गया है.. ऐसे स्टंट की कमी नहीं.
Nautanki … where was he for 4.5 yrs ? Come Elections time .. & there is no dearth of such stunts.
— Blank Space (@PKulk99) February 24, 2019
एक यूजर ने लिखा कि मोदी जी संविदा पर सफ़ाईकर्मियों की भर्ती फ़ौरन रद्द कर दीजिए और उनका पैर धोने के बजाए उन्हें सुरक्षित नौकरी मुहैया करा दीजिए.
Modiji, Please immediately cancel the policy of outsourcing in the Govt employment of Safai Karmacharis and provide them service security instead of washing their feet for photoshop.
— F H Jakkappanavar (@FHJakkappanavar) February 24, 2019
नौटंकी नंबर वन ढोंग नही देश को काम चाहीये,
— Mohd Rafi Ata (@MohdRafiAta1) February 24, 2019
एक यूजर ने लिखा कि तीन नगरपालिकाओं की अगस्त 2018 की रिपोर्ट के डाटा के अनुसार, पांच सालों में 60 साल से कम आयु के 2403 सफ़ाईकर्मी की मौत हो चुकी.
As per Aug 2018 reports, 2403 sanitation workers died in Delhi in last five years before reaching age of 60: data provided by the three municipal corporations.
— Sujit chaudhary । সুজিত চৌধরী (@S_k_chaudhary) February 24, 2019
Salute करना है तो उनको respectable monthly salary do, unke लिए उचित cleaning ki machines available करवा दो।
डेली लोग सीवर clean करने से मर रहे है।
— Raam Meghwal (@G_Raam_G) February 24, 2019
एक यूजर ने लिखा कि अंतिम साढ़े वर्षों में कुछ नहीं हुआ. चुनाव के चार महिना पहले ड्रामा चालू. जो आपने हर भारतीय के जीवन में किया है वह गिनें प्रधान मंत्री जी, ये जुमलेबाजी वाले ड्रामा बंद करें.
Last 4 & ½ years, nothing.
4 months before election, drama chaloo.Actions that are visible in the life of EVERY Indian count Mr PM, not these Jumletic dramas.
— Rajvir Singh (@Rajvirss) February 24, 2019