#भूखा_किसान_महँगा_विमान हैश टैग बयान कर रहा देश की वास्तविक दशा




(चित्र साभार: ट्विटर)

समीर भारती

मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 30 हज़ार किसानों का जुलूस नासिक से मुंबई पैदल मार्च कर रहा है। ये किसान लगातार देश में बदतर हो रही कृषि व्यवस्था और सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं। किसानों का यह जुलूस शनिवार को मुंबई पहुंचा। इस जुलूस की शुरुआत मंगलवार को नासिक से हुई जिसकी अगुवाई कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के किसान संगठन अखिल भारतीय किसान सभा ने की। हालांकि इसे देश के कॉर्पोरेट घरानों की गोदी मीडिया ने यह तो जगह नहीं दी या फिर न के बराबर जगह दि। पता नहीं किसानों की बदहाली की ख़बर हमारे लिए भी किसी फ़िल्म अभिनेत्री की मौत से अधिक महत्वपूर्ण कब बनेगी।




किसानों में नाराज़गी है और वे केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की नीतियों से दुखी हैं। ये किसान कृषि क्षेत्र की बदहाली,  उनकी हो रही लगातार आत्महत्या, उनकी ज़मीनों की बैंक द्वारा ज़ब्ती से दुखी हैं।

इसी को लेकर ट्विटर पर आज #भूखा_किसान_महंगा_विमान ट्रेंड टॉप पर रहा। लोगों ने इस हैश टैग के साथ राफ़ेल फाइटर प्लेन की महंगी ख़रीदारी और किसानों की बेहद दयनीय स्थिति पर सरकार को खूब कोसा।

प्रियंका गांधी के अप्रमाणित ट्विटर हैंडल ने ट्वीट किया कि “मोदी सरकार में, एक राफेल फाइटर प्लेन का मूल्य कम से कम 1000 करोड़ हैं जो कि यूपीए के शासन में तय मूल्य से बहुत अधिक है। इतनी बड़ी राशि देश की सभी कृषि संबंधी समस्या को हल कर सकती है। #भूखा_किसान_महंगा_विमान “

प्रियंका गांधी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा है कि “भारतीय करदाताओं को 1670 करोड़ भुगतान करना पड़ रहा है जब कांग्रेस ने इसका सौदा मात्र 526 करोड़ में किया था? राफेल जेट को भारत ही बनाने की यूपीए की योजना को रद्द कर दिया गया? #MaunModi को करदाताओं के पैसे के गलत प्रबंधन का उत्तर देना होगा।

इसी तरह एक अन्य ट्विटर यूजर मनीष कुमार शर्मा ने ट्वीट किया “फ़िज़ूल खर्च में माहिर भाजपा अपना भव्य मुख्यालय कुछ भी खर्च कर बनवा सकती है,लेकिन ये लोग किसानों का ऋण माफ़ करके उनकी ज़मीन और जान नहीं बचा सकते हैं। #भूखा_किसान_महंगा_विमान”

एक अन्य यूजर सुशिल कुमार ने लिखा है कि “2014 में मोदी ने यह वादा कर के लालच दिया कि उनकी आय पांच वर्षों में दोगुना होगी। 2018 में किसानों के पास बिजली बिल का भुगतान करने के भी पैसा नहीं हैं। क्योंकि हमने #PiratesofAchheDin (अच्छे दिन के लूटेरों) पर भरोसा किया।

अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की प्रभारी चित्रा सर्वारा ने लिखा है कि “एक ओर तो करोड़ों आपातकालीन स्थिति और गुप्त क्लॉज़ का बहाना बना कर निजी कंपनियों पर लुटाए जा रहे हैं और दूसरी ओर कृषि समस्या किसानों को आत्महत्या करने पर और जूलूस निकालने पर मजबूर कर रही है… क्या कोई जल्दबाज़ी नहीं?

एक और यूजर मुकेश पाण्डेय ने लिखा है कि “मोदी किसी विदेशी को तो रनवे पर जा कर मिलते हैं कि उसे ख़ास महसूस हो लेकिन वह कभी भी गरीब किसानों से नहीं मिले जो उनके घर के बाहर और संसद के बाहर धरना दे रहे हैं। दोहरा मापदंड? #भूखा_किसान_महंगा_विमान

अतुल कुमार ने लिखा “जिस दौर में उद्द्योगपति और बिजनेसमैन हजारों करोड़ की टैक्स छूट, लोन राइटऑफ का मजा ले रहे या देश छोड़कर भाग रहे हैं, उसी दौर में किसानों को आत्महत्या पर मजबूर होना पड़ रहा है। किसानों की अनदेखी सरकारों को भारी पड़ने वाली है।”

Liked it? Take a second to support द मॉर्निंग क्रॉनिकल हिंदी टीम on Patreon!
Become a patron at Patreon!




1 Comment

  1. किसान सैनिक और अवाम यह मरने के लिए हीं हैं तरीका अलग अलग हो सकता है। मोदी जी ने चायदान छोड कर जो देश की कमान संभाल ली है इन्हें अपने महंगे सूट और ऐश से मतलब है। देश और जनता जाए भांड में इन्हें क्या पड़ी है। ऐसे भी भाजपा के लोगों में इंसानियत और देश प्रेम है कहॉ। यह तो सत्ता के सौदागर हैं। इनसे कोई उम्मीद करना बेमानी है। इनके यहां इन्सान की कोई कीमत नहीं। इन्सान की कीमत होती तो इनके हाथ खून से लथपथ नहीं होते।

Comments are closed.