सरकार बदलते ही कहाँ गए हिन्दू आतंकवाद के साक्ष्य?




नई दिल्ली, 16 अप्रैल, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क)| संयुक्त प्रगतीशील गठबंधन की सरकार में कई ऐसी आतंकी घटनाएं हुईं जिनके तार कहीं न कहीं आरएसएस से जुड़े थे इनमें मालेगांव, समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद ब्लास्ट और अजमेर दरगाह की घटनाएं प्रमुख थीं. मक्का मस्जिद मामले में शुरूआती जांच पुलिस ने शुरू की थी, जिसने हरकतुल जिहाद इस्लामी संगठन को दोषी ठहराया था। इस मामले में लगभग 100 मुस्लिम युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बाद में जब तत्कालीन एनआईए ने इसकी जांच हेमंत करकरे के अगुवाई में शुरू की तो सभी को बरी कर दिया गया और मामला पूरा का पूरा उलट गया. इन घटनाओं के तार ऐसे लोगों से जुड़ने लगे जिनका संबंध आरएसएस या अन्य हिंदूवादी संगठनों से था.

18 मई, 2011 को मक्का मस्जिद में 9 लोग लोग मारे गए थे जबकि 58 लोग घायल हुए थे. समझौता एक्सप्रेस में 68 लोग मारे गए थे और दर्जनों लोग घायल हुए थे जिनमें अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक थे. अजमेर शरीफ दरगाह में तीन लोग मारे गए थे और 17 लोग घायल हुए थे. इन सब मामलों में उन सभी लोगों को बरी कर दिया गया जिनके विरुद्ध पक्के सबूत होने का दावा तत्कालीन केन्द्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने किया था.

हिंदुस्तान समाचार पत्र में प्रकाशित वह रिपोर्ट जिसमें उनहोंने आरएसएस और इस से जुड़े लोगों के बम धमाकों में संलिप्तता की बात कही थी

मक्का मस्जिद में 8 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिनमें असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, भरत मोहनलाल रातेश्वर और राजेंद्र चौधरी को एन आई ए की अदालत ने मंगलवार को बरी कर दिया. मज़े की बात बरी करने के फैसले के तुरंत बाद निर्णय देने वाले जज रविन्द्र रेड्डी ने इस्तीफ़ा भी दे दिया. ऐसा कर के उनहोंने पूरे निर्णय को शक के घेरे में डाल दिया हालांकि उनके इस्तीफ़ा को व्यक्तिगत कारणों से कहा जा रहा था। लेकिन इतना अचानक इतने संवेदनशील मामले में किसी जज का इस्तीफ़ा देना प्रश्न खड़ा करने के लिए पर्याप्त है. समझौता एक्सप्रेस और अन्य केसों से उन लोगों को बरी कर दिया गया जिनमें असीमानंद और अन्य हिंदूवादी के लोग आरोपित थे.

23 जनवरी, 2013 को हिंदुस्तान के पटना संस्करण में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन केन्द्रीय गृह सचिव आर के सिंह ने दावा किया था कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि आरएसएस आतंकी गतिविधियों में संलिप्त है. उन्होंने इस रिपोर्ट के अनुसार समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद और अजमेर शरीफ़ दरगाह में हुए बम धमाकों में 10 आरएसएस के लोगों की संलिप्तता का पक्का सबूत होने का दावा किया था.

आर के सिंह कौन हैं और अब कहाँ हैं?



आर के सिंह वही हैं जो कभी पटना के ज़िला अधिकारी थे और जिन्होंने तत्कालीन मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर राम मंदिर मामले में रथ यात्रा निकालने वाले भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करके खूब सुर्ख़ियाँ बटोरी थी. उसके बाद चिदम्बरम के गृह मंत्री बनने के बाद उन्हें केन्द्रीय गृह सचिव बनाया गया.

आज राज कुमार सिंह बिहार के आरा लोक सभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद और स्वतंत्र प्रभार के साथ मोदी कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री हैं. उनहोंने कुछ समय पहले इशरत जहाँ मामले में चिदंबरम पर रिपोर्ट बदलने का आरोप लगाया था.

प्रश्न यह उठता है कि जब आर के सिंह ने यह दावा किया था कि उनके पास उन लोगों के विरुद्ध पक्के साक्ष्य मौजूद हैं तो आज उन साक्ष्यों को क्या हुआ? सरकार बदलने के बाद और आर के सिंह का स्थान और पद बदलने के बाद वे साक्ष्य कहाँ गए? सवाल माकूल है और जवाब आवश्यक हैं.

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