सूचना तंत्र की पोल खोलती यह घटना – बिना मौत के ही मन गया मातम – मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री ट्वीटर पर हो गए ग़मगीन




27 की मौत की ख़बर पूरी मीडिया में छाई रही (एएनआई की वीडियो क्लिक से ली गयी छवि)

पटना (बिहार), 10 मई, 2018 (टीएमसी हिंदी डेस्क) |  3 मई को एक समाचार आया कि दिल्ली से आ रही मुजफ्फरपुर बस मोतिहारी में पलट गयी और उसमें आग लग गयी और 27 लोगों की मौत जल कर हो गयी. सुन कर न्यूज़ लिखने वाले को भी कष्ट हुआ, जिन लोगों के अपने दिल्ली से बस से आ रहे होंगे उनका तो बुरा हाल हुआ ही होगा – इसका अंदाज़ा लगाना हमारे लिए कठिन है. हमने भी वह न्यूज़ लगाई क्योंकि हमें हमारी एजेंसी से वह खबर हमारे पास आई थी. हम इसलिए शर्मिंदा हैं. आगे से हम छोटी छोटी ख़बरों की भी गहन जांच करेंगे. हम ऐसा करते हैं इस बार चूक हो गयी.

एएनआई की वीडियो पर टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ब्रेकिंग न्यूज़

हम तो ठहरे न्यूज़ व्यापारी – होड़ लगी है सबमें सबसे तेज़ होने की इसलिए ग़लती होना स्वाभाविक है लेकिन ई बताइए कि हमारे नेताओं में ऐसी होड़ क्यों लगी है. नीतीश कुमार से ऐसी चूक कैसे हो गयी. सुशील मोदी से यह चूक क्यों हुई. तेजस्वी यादव को नीतीश से प्रतिस्पर्धा करने की क्या पड़ी थी. हम समझ सकते हैं कि यह चूक इनसे नहीं हुई, इनके आई टी सेल वालों से हुई. ऐसा नहीं कि आई टी सेल केवल भाजपा का ही है सबका आई टी सेल है. चलिए नेताओं के प्यादे ट्विटर उनका चला रहे हैं उनसे ग़लती हो गयी. बड़े बड़े मीडिया हाउस वाले इसमें कैसे फंस गए. बिना पहुंचे ही तस्वीर ले आए क्या?

विभिन्न मीडिया हाउस द्वारा की गयी गलत रिपोर्टिंग

एएनआई जैसी न्यूज़ एजेंसी ने जलते हुए बस की तस्वीर ले ली और टाइम्स ऑफ़ इंडिया जैसे बड़े मीडिया हाउस ने 27 लोगों के मौत की पुष्टि कर दी. बेचारे नीतीश कुमार ने एक कार्यक्रम में ही सबसे मौन रखवा दिया और मुआवज़े की घोषणा कर दी और घायलों के इलाज का इंतजाम भी करवा दिया. ट्वीट पर भी सब एलान करवा दिया. साथी नरेंद्र मोदी ने भी दया दिखाई और ट्वीट पर बड़े ग़मगीन नज़र आए. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव क्यों चूकते भाई, उनहोंने भी कह दिया, बहुत दुखी हूँ.

विभिन्न मीडिया हाउस द्वारा की गयी गलत रिपोर्टिंग

जब मामला सामने आया कि कोई हताहत नहीं हुआ तो पहली बार सबको लगा होगी कि मौत तो हो ही जानी चाहिए थी जब कह दिया था. खैर आम आदमी ने राहत ली. आख़िर 27 जान जो जा चुकी थी खबरों में वह तो बच गयी थी.
लेकिन इससे पूरे सिस्टम की पोल खुल गयी. न्यूज़ चैनल की जो बंद कमरे में रह कर सब जानने का दावा कर लेते हैं. सरकार की जिसे अपने सूचना तंत्र पर नाज़ है और विपक्ष की भी जो बेहद गैर ज़िम्मेदार है.

खैर इसमें तेजस्वी यादव का काम अच्छा रहा. उनहोंने माफ़ी मांगी कि वह नीतीश जी के ट्वीट के बहकावे में आ गए थे. और किसी ने माफ़ी तक मांगने का कष्ट नहीं किया. खैर माफ़ी से क्या होता है? आज तो झूठी ख़बर से बहुत कुछ बदल जाता है.
हाँ, इससे एक बात समझ में आती है कि कहीं बिहार की नेगेटिव खबरों को बढ़ा चढ़ा कर पेश तो नहीं किया जा रहा है. नीतीश कुमार को इस ख़बर की पड़ताल करनी चाहिए.

तेजस्वी यादव ने ट्वीट यह किया था


तेजस्वी यादव ने ट्वीट पर माफ़ी मांगी

नीतीश कुमार का ट्वीट

सुशील कुमार मोदी का ट्वीट

प्रधान मंत्री कार्यालय की तरफ से प्रधान मंत्री मोदी के उपलक्ष्य में किए गए ट्वीट

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